आज का विचार यह है कि, हमें अपने शत्रुओं को धन्यवाद देना चाहिए। आप सोच रहे होगें कि शत्रुओं को धन्यवाद!….हाँ भई हाँ! क्योंकि हम अपने मित्रों से इतना नही सीख पाते जितना अपने शत्रुओं से सीख लेते हैं! क्योंघ्….सही है ना बात
‘‘हम अपने मित्रों से इतना नहीं सीख पाते जितना अपने
शत्रु से सीख पाते हैं। अतः अपने शत्रुओं को
धन्यवाद दें क्योंकि असल में वो ही आपको अधिक सिखाते हैं।’’
Enemy
One must always be thankful to his enemies and opponents. Why do I say so? Because we learn more from our opponents than from friends. Think over it and you will agree.
Be grateful to your enemies for the lessons they teach you.
Prof. Sanjay Biyani