ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी में अहम योगदान प्राप्त, 12 मानद डिग्रियों और अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान प्राप्त स्टीफन हॉकिंग भले आज इस दुनिया में ना रहे हो लेकिन आज के युवाओं के लिए आत्ममंथन और प्रेरणा के लिए स्पष्ट पदचिन्ह छोड़ गए। 21 वर्ष की आयु में डॉक्टर्स ने हॉकिंग को बता दिया था कि उन्हें मोटर न्यूरोन नामक लाइलाज बीमारी है और उनके पास जीने के लिए दो-तीन साल शेष बचे हैं। आज हम में से किसी के साथ ऐसा हो जाए तो सम्भवतरू सिर्फ दो वर्ष भी जीना असंभव हो जाए परन्तु स्टीफन हॉकिंग ने 55 वर्ष मोटर न्यूरोन बीमारी को ही नहीं हराया बल्कि वो सब कारनामे कर डाले जो किसी भी इंसान की सर्वोच्च उपलब्धि कही जा सकती है। आज भी हम अपने जीवन में सामान्य समस्याओं से घबरा जाते हैं। स्टीफन की लगभग सभी मांसपेशियों से उनका नियंत्रण खो चुका था और वो अपने गाल की मांसपेशियों के जरिए अपने चश्में पर लगे सेंसर को कम्प्यूटर से जोड़कर ही बातचीत कर पाते थे। हमारे सामने सवाल इस बात का नहीं होता है कि हमारे पास कौन-कौन सी शारीरिक और मानसिक दुर्बलताएं है बल्कि सवाल इस बात का है कि हम सब लोग अपनी कितनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं का उपयोग कर पाते हैं। वास्तव में हम सभी लोग अपनी इन क्षमताओं का 5 प्रतिशत भी उपयोग नहीं करते, शायद हम तो यह भी नहीं जानते कि हर कार्य कर्म नहीं होता सिर्फ वहीं कार्य कर्म होता है जो चौतन्यता यानि होश में किया जाए। हमारें ज्यादातर काम या तो दोहराव है या फिर भीड़ का अनुसरण। हमें उन सब तरीकों की खोज करनी होगी जिनके आधार पर हम जीवन के हर क्षण प्रेरित रह सके और जीवन को एक बड़े लक्ष्य से जोड़ सके। मानव जाति का विकास चुनौतियों के कारण ही तो हुआ है फिर आज हम चुनौतियों से क्यों घबरा जाते हैं। इस माह स्टूडेंटस परीक्षाओं में व्यस्त हैं मैं उन्हें ये सलाह देना चाहता हूॅ कि परीक्षाओं की तैयारी में सबसे बड़ी बाधा बार-बार उन परीक्षाओं से प्रत्याशित परीणामों को सोचने के कारण होती है। आप सभी अपना पूरा ध्यान कर्म पर लगाए ताकि आपकी अनमोल क्षमताओं का आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में सही- सही उपयोग की जा सके। मैं आपसे यह आग्रह करता हूं कि परीक्षाओं के दिनों में प्रतिदिन सुबह १५ मिनट एकाग्रता को बढ़ाने के लिए मेडिटेशन भी करे।

आज महिला सशक्तिकरण की बात की जा रही है जबकि हम सभी जानते है कि महिलाएं मानसिक रूप से पुरूषो से अधिक शक्तिशाली होती हैं। स्टीफन हॉकिंग द्वारा भी अपनी मानसिक क्षमताओं का ही उपयोग किया गया था।

इन दिनों मैंने श्रीमद्भगवद गीता का गहनता से अध्ययन किया। मैनें पाया कि श्रीमद्भगवद गीता जो कि १८ अध्याय में विभक्त है और इसमें कुल ७०० श्लोक श्रीकृष्ण, अर्जुन, संजय और धृतराष्ट्र के द्वारा कहे गये है। यह पुस्तक हमारे जीवन में उठ रहे तनाव और अवसाद को कम कर हमारी निर्णायक क्षमता को बढ़ा देती है। जो अवसाद आज से लगभग 5150 वर्ष पूर्व अर्जुन को थे कमोवेश उसी प्रकार के तनाव और अवसाद आज हम सभी के जीवन में भी है। जब हम तनाव मुक्त होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाते है तो हमें ना सिर्फ बड़ी सफलताऐं मिलती है बल्कि हमारी निर्णय क्षमता बढने के साथ-साथ हमें प्रसन्नता की अनुभूति भी होती है।

मैं बड़े ही हर्ष के साथ लिख रहा हूं कि श्रीमद् भगवद् गीता पर 18 अध्याय का कार्यक्रम तैयार किया गया है। जिसे आज के परिप्रेक्ष्य में बड़ी आसान और सरल भाषा में शीघ्र ही टीवी पर प्रसारित और यूटयूब पर अपलोड करने जा रहा हूं।

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