नमस्कार दोस्तो, हम कई बार लोगों को बातें समझाते है, परन्तु उन्हें समझ नहीं आती। जब हम वाणी से थक जाते है तो मैं आपको एक आइडिया दूंगा, आप दूसरी भाषा का इस्तेमाल करें और वो भाषा है, ‘‘मौन’’ की भाषा, जो कि बहुत गहरी है। वाणी मस्तिष्क तक जाती है, परन्तु मौन दिल तक […]

नमस्कार दोस्तो, कल्पना करिये, आपके घर में आपके ही जैसा एक और व्यक्त्ति आ जाए, तो क्या आप इतने आराम से रह सकेंगें? नही ना…………. तो फिर आप ये कोशिश क्यों करते है कि सभी व्यक्त्ति आप जैसे हो जाये, ये 700 करोड़ लोगों की अपनी दुनिया सभी व्यक्त्ति अलग-अलग तरह के हैं। आइये हम […]

अक्सर हम लोग दूसरों को खुश करने की कोशिश करते है पर दूसरे तो खुश होते नहीं। जरा सोचिए। ऐसा क्यों होता है ? मैं बताता हूँ आपको। आप जब तक खुद खुश नहीं होंगे तब तक दूसरों को खुश नहीं कर सकते। इसलिए अगर ध्यान देना है तो खुद की खुशी पर ध्यान दीजिए […]

अगर आपके सिर पर घाव हो जाए, तो इंदकंहम घाव पर लगाएंगे या शीशे में देखकर शीशे पर लगाएंगे। आप कहेंगे नहीं। हम घाव पर लगाएंगे। तो भाई जब आप दुखी है तो आप दूसरों को क्यों ठीक करना चाहते है। आपको अगर खुद के दुखों को ठीक करना है तो दूसरों पर नहीं खुद […]

नमस्कार दोस्तो, आज का विचार है वायु के लिए। हमारे पूरे शरीर में 6 प्रतिशत वायु है जो बह रही है। ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर और ये वायु हमारे साथ ठीक वैसे ही पेश आती है जैसे हम वायु के साथ पेश आते है। वायु के प्रति कृतज्ञ बनिए। गहरी श्वास लीजिए और […]

नमस्कार दोस्तो, आजकल हम सब लोग एक समस्या से गुजर रहे हैं हम सब लोगों को बहुत गुस्सा आता है। लाल-पीले हो जाते है। कभी आपने सोचा है ये गुस्सा क्यों आता है ? गुस्सा इसलिए आता है कि हमारे जीवन में एक चीज की कमी हो गई है और वो चीज है ‘‘प्रेम‘‘! जिसका […]

लोग अक्सर कहा करते है कि इच्छाएँ दुःखों का कारण हैं। अगर वास्तव में इच्छाएँ दुख का कारण है तो फिर आपका जन्म इच्छा के कारण है एवं ईश्वर से मिलन भी इच्छा के कारण ही है तो फिर इच्छा समस्या का कारण क्यों है ? बिना सोचे -समझे अज्ञानता से जुड़ी इच्छा हमारे दुःखो […]

आज का विचार है आकाश । आकाश यानि कि ‘‘विस्तार‘‘। आकाश यानि ज्ञान । मुझे लगता है हम आकाश के साथ जिस तरह पेश आते है। आकाश भी हमारे साथ वैसे ही पेश आता है। यदि हमें हमारे जीवन में विस्तार चाहिए, ज्ञान चाहिए, नई सोच चाहिए तो हमें आकाश के प्रति कृतज्ञ होना पड़ेगा। […]

 ईर्ष्या, यानि जलन हम सब को कभी ना कभी महसूस होती है, क्योंकि हमारे अन्दर अग्नि तत्व अशुद्ध हो गया है । हम अग्नि के प्रति अकृतज्ञ से हो गये है। मुझे लगता है अग्नि हमारे साथ ठीक वैसे ही पेश आती है जैसे हम अग्नि के साथ आते है। आप अग्नि (fire) यानि सूर्य […]

नमस्कार दोस्तो,धरती !हमारे पूरे शरीर में 12 प्रतिशत धरती है। phosphorus, zinc, copper सब हमारे शरीर में है। ये 12 प्रतिशत धरती के तत्व हमारे साथ ठीक वैसे ही पेश आते है जैसे हम धरती के साथ पेश आते है। धरती पर नंगे पाँव चलिए । उसे महसूस करिए। उसके प्रति कृतज्ञ रहिए। मुझे लगता […]