दशम अध्याय : विभूतियोग (संजय की नजर से)
विभूतियोग(श्रेष्ठता का भाव) पिछले अध्याय में हमने ’’श्रद्धा’’ के बारे में चर्चा की जिसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि ’’हे अर्जुन! यदि कोई दुराचारी मनुष्य भी मुझे पूरी श्रद्धा से भजता है तो मैं उसे ज्ञान प्रदान कर मुक्ति के मार्ग पर ले जाता हूं।’’ कुछ इस तरह की बात आज से लगभग 1500 […]