भक्तियोग | अध्याय 12 |श्रीमद्भगवद्गीता – संजय की नजर से
भक्तियोग(समर्पण) श्रीमद् भगवद् गीता के पिछले अध्याय में हमने श्री हरि के विश्वरूप दर्शन की चर्चा की जो कि बहुत ही अद्भुत अनुभव रहा। इस अध्याय में अर्जुन में समता का भाव विकसित हुआ क्योंकि जब तक व्यक्ति सब कुछ स्वयं देख ना लें तब तक यह समभाव विकसित नहीं हो सकता। जब यह समता […]