श्रद्धात्रय विभाग योग (प्रेम व श्रद्धा) पिछले अध्याय में हमने जाना कि इस दुनिया में दो प्रकार के पुरूष होते हैं-एक दैवीय और दूसरे आसुरी प्रवृत्ति के। दैवीय प्रवृत्ति के लोगों को मुक्ति मिलती है एवं आसुरी प्रवृत्ति के लोगों को पुनर्जन्म, और वह भी निम्न श्रेणी में। अब आपके मन में यह प्रश्न आयेगा […]

गुणत्रय विभाग योग (त्रिगुण) सदियों से इंसान की खोज रही है, खुद को जानने की, खुद को समझने की, खुद को खोजने की सुख व शान्ति में फर्क करने की, इंसान इस खोज में बाईबिल की तरफ बढा, कभी कुरान की तरफ बढा, कभी गुरूग्रन्थ साहिब की ओर बढा, लेकिन सभी जगह एक सामान्य बात […]

विश्वरूप दर्शन योग (कृष्ण दर्शन) आज जिस अध्याय की हम चर्चा करेंगे यह तो वह अध्याय है जिसे इंसान पढते-पढते थकता ही नहीं है, परंतु यह तब संभव है जब उसके मन में भक्ति आ गई हो। जब हमने 10 अध्यायों को समझ लिया हो, तब ये ग्यारहवां अध्याय इतना रूचिकर लगने लगता है। इसे […]

विभूतियोग(श्रेष्ठता का भाव) पिछले अध्याय में हमने ’’श्रद्धा’’ के बारे में चर्चा की जिसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि ’’हे अर्जुन! यदि कोई दुराचारी मनुष्य भी मुझे पूरी श्रद्धा से भजता है तो मैं उसे ज्ञान प्रदान कर मुक्ति के मार्ग पर ले जाता हूं।’’ कुछ इस तरह की बात आज से लगभग 1500 […]

राजविद्या राजगुह्मयोग (सकारात्मकता, विद्या व अविद्या) पिछले अध्याय में हमने यह जाना कि हमें सदैव ईश्वर का मन में चिंतन करना चाहिए तथा साथ ही कर्म लगातार किये जाए तो इंसान मोक्ष भी प्राप्त कर सकता है एवं पुनर्जन्म। ये पुर्नजन्म की धारणा विज्ञान भी स्वीकार करता है। इस अध्याय में हम यह जानेंगे कि […]

अक्षर ब्रह्म योग (ऊँ जाप) हमने पिछले अध्याय में ज्ञान और विज्ञान को समझा। सदियां बीत गई और कितना समय गुजर गया लेकिन इंसान निरंतर खोज करता जा रहा है, ये खोज संबंधित है खुद से और ब्रह्माण्ड से लेकिन मुझे लगता है कि सबसे बडी खोज जो ऊर्जा की खोज है, ब्रह्म की खोज […]

ज्ञान-विज्ञान योग (चेतना) पिछले अध्याय में हमने योगी बनने की प्रक्रिया को जाना और इस अध्याय में हम छह बिन्दुओं पर बात करेंगे। – ज्ञान और विज्ञान क्या है? – जड और चेतना क्या है? – त्रिगुण क्या है? – ईश्वर को कैसे पाया जाता है? – भक्त कौन है और कितनी तरह के होते […]

ध्यान योग (ध्यान का तरीका) ये अध्याय उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जिनकी उम्र 15 से 25 के बीच है, जिनकी एकाग्रता कम है जिसके कारण उनका मन पढाई में नहीं लगता और उनका काम भी प्रभावित होता है। इस अध्याय में अर्जुन और कृष्ण का संवाद आपके जीवन में बदलाव लाने वाला […]