एकादश अध्याय: विश्वरूप दर्शन योग |श्रीमद्भगवद्गीता (संजय की नजर से)
विश्वरूप दर्शन योग (कृष्ण दर्शन) आज जिस अध्याय की हम चर्चा करेंगे यह तो वह अध्याय है जिसे इंसान पढते-पढते थकता ही नहीं है, परंतु यह तब संभव है जब उसके मन में भक्ति आ गई हो। जब हमने 10 अध्यायों को समझ लिया हो, तब ये ग्यारहवां अध्याय इतना रूचिकर लगने लगता है। इसे […]