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‘‘ आचरण से मनुष्य का दृष्टिकोण बदलता है। महज दृष्टिकोण बदलकर व्यक्ति अपना भविष्य बदल सकता है। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले व खत्म करने के बाद धन्यवाद देना ना भूले।Sunday (संडे) जिसका मतलब होता है सन (Sun) यानि सूर्य एवं डे (day) यानि दिन । सूर्य हमारे ब्रह्माण्ड में ऊर्जा का (energy) का स्रोत है। पूरे संसार का रोशनी देने वाला, अन्धकार को दूर करने वाला हमें सिखाता है कि हम भी सूर्य की तरह ऊर्जावान बने और हमारे शरीर की हर सेल उस एनर्जी को फील करे। सप्ताह के सात दिन एक से नहीं होते। जैसे Sunday होता है सप्ताह का पहला दिन, वैसे ही सप्ताह का दूसरा दिन Monday होता है । यानि डे ऑफ मून। (मून) यानि चाँद हमें शान्ति एवं ठण्डक का सन्देश देता है। अगर हम रविवार को एक जश्न के रूप में मना सकते है तो हम जिन्दगी के हर क्षण को एन्जॉय कर सकते है। रविवार हमें एनर्जी और पॉजिटिविटी देता है। जिसे हम अपने कार्यो में पूरे सप्ताह दर्शा सकते है। कार्य हमारे आचरण का दर्पण है।
आचरण से मनुष्य का दृष्टिकोण बदलता है। महज दृष्टिकोण बदलकर व्यक्ति अपना भविष्य बदल सकता है। कार्य को शुरू एवं खत्म करने के बाद थैंक्यू (धन्यवाद) बोलना ही हमारी कृतज्ञता ;Gratitude है। हमारा आचरण कृतज्ञता के भाव से जुड़ा होना चाहिए और इसी सदाचरण से कृतज्ञता की भावना विकसित होती है। हमें प्रतिदिन ईश्वर को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहना चाहिए कि, ‘‘हे ईश्वर! मैं इस स्वस्थ्य शरीर, शान्त मन एवं सक्रिय पाँच इन्द्रियों के लिए आपका आभारी हूँ । मुझे आपने मददगार, वफादार और प्रेम बाँटने वाले परिवारजन दिए है, अच्छे मित्र दिए है। मुझे आपने सकारात्मक सोचने, बोलने और देखने के लिए प्रेरित किया है। मुझे खुद पर विश्वास करने तथा दूसरों को माफ करने का आपने जो साहस दिया है। उसके लिए मैं आपका मन से शुक्रिया अदा करता हूँ। ईश्वर का बार-बार धन्यवाद ज्ञापित करना ही कृतज्ञता का संकेत है और हमें इस सन्देश का प्रसार सभी में करना होगा। सदाचरण और कृतज्ञता का भाव तथा सकारात्मक सोच का विकास करना होगा तभी मानवता अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँच सकेगाी।

 

प्रो. संजय बियानी

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