नरसिम्हा राव सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1991 में एक समय आया था, जब भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह कर्ज में डूब कर दिवालियेपन की दिशा में पहुंच चुकी थी। सरकार के पास देश का सोना गिरवी रखकर ऋण लेेने के सिवाय, कोई भी रास्ता नहीं बचा था। इसका प्रमुख कारण सेवा व उद्योग जैसे क्षेत्रों में सरकारी दखलअंदाजी व लाइसेंस प्रणाली थी। उस वक्त नरसिम्हा राव सरकार द्वारा उदारीकरण की नीति अपनाकर सरकारी दखलअंदाजी व लाइसेंस प्रणाली को समाप्त किया गया था। हम सभी जानते हैं कि टेलीकम्यूनिकेशन, इंश्योरेंस व एजुकेशन के क्षेत्र में लाइसेंस राज कम करने से सेवा क्षेत्र में बहुत बड़ा सुधार व इंफ्रास्ट्रक्चर गत दशक में तैयार हो गया है। हम सभी यह भी जानते हैं कि हर जागरूक व्यक्ति अपने बच्चों को निजी स्कूल व कॉलेज में ही पढ़ाना चाहता है और इसी तरह जब स्वास्थ्य की बात आती है, तो भी हर व्यक्ति निजी क्षेत्र के अस्पतालों का ही रूख करता है। बावजूद इसके सरकारी तंत्र समय-समय पर शिक्षा, चिकित्सा और व्यापार आदि क्षेत्रों में हस्तक्षेप करके निजी क्षेत्र के लिए एक नकारात्मक वातावरण तैयार करता ही रहता है। हाल ही में इसके कई उदाहरण देखने को मिले हैं। इनमें सबसे पहला उदाहरण मैैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जाना रहा। किसी एक डॉक्टर की लापरवाही की सजा समस्त स्टेकहोल्डर को दिया जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री को यह समझना चाहिए कि सरकार एक फे सीलिटेटर के रूप में कार्य करती है, ना कि डिक्टेटर के रूप में। इस सम्बन्ध में मैक्स अस्पताल को सुनवाई का अवसर दिए बिना यह कदम उठाना किसी भी प्रकार से उचित नहीें है। इसी प्रकार की घटना दिल्ली स्थित रेयॉन स्कूल के साथ भी देखी गई थी। रेयॉन स्कू ल की कुल १८६ शाखाएं देश में कार्यरत हैं। किसी एक शाखा में हुई दुर्घटना के लिए डायरेक्टर को दोषी मानते हुए कार्यवाही किया जाना किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीें कहा जा सकता।
हाल ही में राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा निजी कॉलेजों की फीस तय करने का फैसला लिया जा रहा है। सभी कॉलेजों के संसाधन व गुणवत्ता भिन्न-भिन्न है, ऐसे में एक समान फीस किस प्रकार तय की जा सकती है? वैसे भी सरकार प्रदेश के ३५००० निजी स्कूलों की फीस पर लगाम कसने में अब तक असफल साबित हुई है। इस तरह की दखलअंदाजी से ना सिर्फ एन्टरप्रेन्योर हतोत्साहित होते हैं, बल्कि सरकारी तंत्र में भी भ्रष्टाचार पनपने लगता है। आवश्यकता इस बात है कि सरकार, एन्टरप्रेन्योर्स को सुविधा व मार्गदर्शन प्रदान करने वाली संस्था के रूप में काम करे। समाज में आर्थिक खुशहाली के लिए एन्टरप्रेन्योर्स को बढ़ावा दिया जाना बहुत ही आवश्यक है। किसी एक घटना या किसी एक पक्ष को जानकर निर्णय लिया जाना उचित नहीं है। निजी शिक्षण संस्थाएं व निजी अस्पताल आज भी बेहतरीन सेवाएं देने के साथ-साथ नियामक संस्थाओं से जुझते रहते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि स्वतंत्र अर्थव्यवस्था में इन क्षेत्रों को जनता के द्वारा सहज तौर पर ही नियन्त्रित किया जाना चाहिए।
प्रेम, स्नेह व सम्मान के साथ…
To know more about Prof. Sanjay Biyani visit www.sanjaybiyani.com
Edwardvek says:
Great website, how do you find all this information?I have read through a few articles on your website and I like your style. Thanks a million, keep up the great work.
angela says:
motivational thought
billige lommeknive says:
Ηello there! Thhis article couldn’t bbe written any better!Reɑding thгough this article rewminds me оf my previous roommate!
He continualⅼy kept talking about this. I most certainly will forward this
article to him. Fairly certain he’ll have a greazt reаd.
Thanks for sharіng!