Share this on WhatsAppनई शिक्षा नीति 2019 – हमने अपने पूर्व संपादकीय आलेख में इस बात को भली-भांति रेखांकित किया कि किस प्रकार शिक्षा व्यवस्था में तेजी से बदलते आज के वैश्विक परिदृश्य के हिसाब से मूलभूत बदलाव की आवश्यकता बहुत देर से महसूस की जा रही थी। वर्तमान शिक्षा नीति जो कि १९८६ में […]

Share this on WhatsAppआज का विचार-‘‘दूसरों को जीतने की विधि’’ लोगों को कैसे जीतें और लोगों से हाँ कैसे करवाएँ। हैं ना राज की बात। मैं बताता हूँ आपको। लीजिए क्या आपको अच्छी हैल्थ चाहिएघ् जवाब मिलेगा हाँ। क्या आपको अच्छे त्मसंजपवद चाहिएघ् हाँ……क्या आपको बहुत सारी दौलत चाहिएघ् हाँ…क्या आपको शानदार करियर चाहिएघ् जवाब […]

Share this on WhatsAppआज का विचार-‘‘रूप चतुर्दशी की शुभकामनाएँ’’   आज रूप चौदस है, दीपावली के एक दिन पहलें का दिन, खूबसूरती का दिन, महिलाओं का दिन, अच्छा दिखने का दिन। अच्छा दिखना कितना जरूरी है, यह हमें खुशी देता है, लेकिन मैं आपको एक खास बात बताना चाहता हूँ, यह रूप चौदस कैसे आया […]

Share this on WhatsAppआज का विचार-‘‘प्रेम कैसे करें’’   कुछ लोग अभी नए रिश्ते में बंधे हैं या वे नया काम करने जा रहे हैं वे जानना चाहते हैं कि प्रेम कैसे करेंघ्……मैं आपको बताता हूँ प्रेम करने का सही तरीका।……. देखिये आप जिससे भी प्रेम करना चाहते हैं, आप उसकी आवश्यकताओं के अनुसार हो […]

Share this on WhatsApp  आज का विचार-‘‘लडाई’’  आज का विचार है कि, एक दिन आपका किसी से झगडा हो गया है, आप ये सोच रहे हैं कि बाहर की वजह से अन्दर लडाई हुई थी या, अन्दर की वजह से बाहर लड़ाई हुई थीघ् ……मैं आपको बताता हूँ इस लडाई का आरंभ आपके अन्दर से […]

Share this on WhatsApp  अष्टांग योग में एक शब्द आता है अस्तेय अर्थात् चोरी न करना। कुछ लोग कहते हैं मैंने छोटी चोरी की है और दूसरे ने बडी चोरी की है। मुझे लगता है छोटी और बडी चोरी नही होती ये तो अवसर होता है जिसे बडा अवसर मिला उसने बडी चोरी की, जिसे […]

Share this on WhatsApp मोक्ष सन्यास योग (आनन्द व मोक्ष) पिछले अध्याय में हमने श्रद्धा के भाव को जाना। श्रद्धा के प्रकारों और श्रद्धा का शास्त्र, भोजन, यज्ञ, तप और दान संबंध को समझा। श्रद्धा का गहरा अर्थ है। इसके बाद किसी पर अविश्वास नहीं होता है। इस अवस्था के बाद मनुष्य मोक्ष को समझ […]

Share this on WhatsApp श्रद्धात्रय विभाग योग (प्रेम व श्रद्धा) पिछले अध्याय में हमने जाना कि इस दुनिया में दो प्रकार के पुरूष होते हैं-एक दैवीय और दूसरे आसुरी प्रवृत्ति के। दैवीय प्रवृत्ति के लोगों को मुक्ति मिलती है एवं आसुरी प्रवृत्ति के लोगों को पुनर्जन्म, और वह भी निम्न श्रेणी में। अब आपके मन […]

Share this on WhatsAppदेवासुर सम्पदा योग(मुक्ति) कहते हैं श्रीमद् भगवद् गीता भगवान की वाणी है। मात्र 45 मिनट मं भगवान कृष्ण ने सारा ज्ञान अर्जुन को दे दिया। जैसे-जैसे समय बीतता गया उसके साथ ही प्रबुद्ध व्यक्तियों द्वारा उसके संबंध मंे अलग-अलग व्याख्यायें की गई। आज जितने भी सम्प्रदाय हैं वे अपने शास्त्रों के संबंध […]