हमें सदैव ऊर्जावान रहना चाहिए। हम सभी शक्तिशाली हैं। हम उन लोगों को ऊर्जावान बना सकते हैं, जिनमे ऊर्जा बहुत कम होती है यदि हम सकारात्मक ऊर्जा से युक्त होते हैं तो इसका तात्पर्य है कि हमारे भीतर अत्यधिक ऊर्जा है। मोबाइल के समान हमें स्वयं को प्रतिदिन चार्ज करना चाहिए।
यदि हम सूर्योदय के समय सूर्य की किरणों के समक्ष होते हैं तो हमें सूर्य से संसार की सर्वश्रेष्ठ ऊर्जा प्राप्त होती है और सूर्यग्रहण के समय चारों ओर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक किरणें व्याप्त रहती हैं। सूर्य अथाह ऊर्जा का स्त्रोत है। शक्तिषाली होने के लिए हमें ऊर्जावान होना पड़ेगा। यदि हमें ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया ज्ञात नहीं है, तो प्रातःकाल जल्दी उठकर संसार के सौंदर्य को महसूस करने का प्रयास करना होगा। ऊर्जा हमें सकारात्मक जीवन जीने हेतु प्रोत्साहित करती है। मेडिटेशन द्वारा स्वयं को पूर्णतः एकाग्रचित्त और समर्पित कर हम स्वयं में सकारात्मक ऊर्जा विकसित कर सकते हैं।
ऊर्जा प्राप्त करने हेतु हमें कछुए की तकनीक अपनानी होगी जो आवष्यकतानुसार अपने अंगों को समेट और फैला सकता है। इसी प्रकार मेडिटेशन के द्वारा हम स्वयं के भीतर झाँकते है। यह एक आंतरिक यात्रा है। इसके द्वारा हम अपने मस्तिष्क को एकाग्रचित्त कर पाते हैं। अपने मस्तिष्क को शक्तिषाली बनने दीजिए ताकि आप स्वस्थ रह सकें। यदि आप में नकारात्मक ऊर्जा है तो आप शीघ्र रोगग्रस्त हो जाएंगे।
यदि आप एक षिक्षक हैं तो आपके चारों ओर कई विद्यार्थी होंगें जो आपसे निरंतर पढ़ने और कार्य करने की ऊर्जा प्राप्त करने आते हैं। अतः सर्वप्रथम षिक्षकों को स्वयं ऊर्जावान होना चाहिए ताकि वे विद्यार्थियों का उचित मार्गदर्शन कर सकें। उदाहरणस्वरूप नर्सिंग व्यवसाय में आप बीमार व्यक्तियों से घिरे होते हैं जिनमें ऊर्जा कम होती है। उनकी सेवा के लिए आप में अधिक सकारात्मक ऊर्जा होनी चाहिए। मरीजां को स्वस्थ होने और सकारात्मक रहने की ऊर्जा देकर ही उन्हें स्वस्थ किया जा सकता हैं। अतः हम सभी को मेडिटेशन करना चाहिए ताकि हम श्रेष्ठ ऊर्जा प्राप्त कर सकें और समाज को सर्वोत्तम ऊर्जा दे सकंे।
प्रतिदिन प्रार्थना करने हेतु समय निकालिए। बाहरी संसार की अपेक्षा स्वयं के भीतर ध्यान केंद्रित कीजिए। संसार के प्रत्येक जीव के लिए सदैव कृतज्ञ रहिए। ऐसे मनुष्य बनिए जो सदैव दूसरों की सेवा करने हेतु तैयार रहे, तथा सभी को प्रोत्साहित करे। आइए! इस संसार को सकारात्मक ऊर्जा से युक्त पवित्र स्थान बनाएँ।
अन्य प्रष्न जिसका उत्तर दिया जाना चाहिए, अपनी इच्छा शक्ति को कैसे बढ़ाया जाए, ताकि अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त कर सकें, जो जीवन जीने हेतु पर्याप्त और समुचित हो।
उक्त प्रष्न का उत्तर देने हेतु हम तीन प्रमुख शब्दों पर ध्यान केन्द्रित करेंगें-
प्रथम मुख्य शब्द है- समर्पण। यदि आप समर्पित रहते हैं तो आप सभी कुछ प्राप्त कर सकते है। आपको अपने संकल्प के प्रति पूर्णतः समर्पण करना होगा।
द्वितीय मुख्य शब्द है- कठिन परिश्रम। हमें कठिन परिश्रम करना होगा, क्योंकि जीवन में इसका कोई अन्य विकल्प नहीं है।
अंतिम मुख्य शब्द है- ध्यान केन्द्रित करना। अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना। हम इसी के द्वारा अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। यदि हम इन शब्दों का अर्थ समझते है और इन्हें अपनी अभिवृत्ति में अपना लेते हैं तो हम एक सफल मनुष्य बन जाएंगें। हम लोगों को प्रसन्न रख पाएंगें और एक अत्यंत उत्तरदायी मनुष्य बन जाएंगें। आइए, हम सब संगठित हो जाएँ ताकि हम सभी अच्छे मनुष्य बन पाएं और यह संसार एक सुरम्य स्थान बन पाए।
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angela says:
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