क्या कभी हमने सोचा है कि हमारे मन मे डर क्यों रहता है क्यों व्यवसाय करना खतरे का काम लगता है क्यों लगभग हर महिला स्वयं को असुरक्षित समझने लगी है क्यों माता.पिता अपने बढ़ते हुए बच्चे के भविष्य को लेकर आशंकित है क्यों हम एक दूसरे की मजबूरी का फायदा उठा लेना चाहते है क्यों चिकित्सा सुविधाएं बेहतरीन होने के बावजूद भी हमारी औसत आयु बेहतर नहीं हो पा रही है क्यों हमारे देश मे भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ता ही जा रहा है क्यों हमारी अदालतों मे मुकदमे तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं इन सबके मूल मे जाएंगे तो हमें पता चलेगा कि इन सबके पीछे के कारण समाज में तेजी से बढ़ती जा रही नकारात्मक सोच है। यह भी सच है कि आपसी संवाद का सुगम व सरल होना समाज के विकास का आधार हैए परंतु अगर इस संवाद में समाज के एक पक्ष यानी नकारात्मकता को ही बढ़ा.चढ़ा कर दिखाते हैंए तो क्या समाज का विकास होगाघ् हमारे आस.पास का वातावरण सबसे अधिक अगर प्रभावित होता है तो वो हैए अखबार इंटरनेट टीवी और फिल्म इंडस्ट्री से। टैक्नोलॉजी का विकास निश्चित रूप से खूब हुआ है परंतु हमें सोचना पड़ेगा हमने टैक्नोलॉजी से संवाद का वातावरण पोजीटिव बनाया है या नेगेटिव। कभी.कभी यह भी लगता है कि शायद हम जन्म से ही नेगेटिव हैं तभी तो हमें एक व्यक्ति द्वारा किए गए सौ अच्छे काम कम और एक बुरा काम ही अधिक नजर आता है। शायद इसी मानसिकता को हमारे मीडिया ने आधार बनाकर अपने व्यवसाय को बढ़ाने की सोच रखी है। दूसरी तरफ यह भी सच है कि पोजीटिविटी के चिंतन से ही हमें ऊर्जा मिलती हैए मनोबल मिलता हैए खुशियां मिलती हैं और सच में श्रेष्ठ जीवन मिलता है।
कुछ समय पूर्व मुझे जापान रहने का अवसर मिलाए मैं सोचने लगा इस मुल्क की बेतहाशा तरक्की का आखिर कारण क्या है तो मैंने पाया वो सिर्फ एक ही है और वो है पोजीटिव थिंकिंग।
एक लम्बे समय बाद हम अपने कार्यों का परिणामों के आधार पर अवलोकन करने लगते हैं। एक सर्वे से यह भी पता चला कि वो अखबार लंबे समय में नकार दिए गए जो लम्बे समय से नेगेटिविटी को ही आधार मानकर चल रहे थे। वास्तव में हम सभी बढऩा चाहते हैंए प्रसन्नता चाहते हैं और भयमुक्त रहना चाहते हैं। इन दिनों प्रतिष्ठित अखबारों में पोजीटिविटी का ट्रेंड बढऩे लगा हैए कुछ पृष्ठ तो बस इस सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए ही रिजर्व कर दिए गए हैं। एक प्रतिष्ठित अखबार ने नो नेगेटिव न्यूज ऑन मंडे का विचार बना लिया है जो कि स्वागत योग्य कदम है।
कुछ लोगों का कहना है कि मीडिया का कार्य सत्य को समाज के सामने रखना है। परंतु हमें सबसे पहले सत्य को ही समझना होगा। अगर एक डॉक्टर अपने मरीज का सिटी स्कैन देखकर इतमिनान से मरीज के 10 दिन में मरने की घोषणा कर उसे तुरन्त प्रभाव से अवगत करा दे तो क्या यह सत्य हैघ् यह सत्य होते हुए भी सत्य नहीं हैए सत्य तो वह होता है जिससे स्वयं का कल्याण तो हो पर उससे पहले दूसरे का कल्याण हो और जो ईश्वर यानी ऊर्जा की तरफ ले जाने वाला हो। कभी.कभी तो चुप रहना भी सत्य की परिभाषा में आ जाता है। बियानी टाइम्स का नये कलेवर में पहला अंक 2 वर्ष पूर्व 1100 अखबार से आरम्भ किया गया थाए आज 30000 अखबार प्रतिमाह पाठकों के मध्य पहुच रहे हैं। गत दो वर्षों की यात्रा में हमने सदैव ऊर्जाए सकारात्मक सोच व ताजा खबरों पर ही पूरा ध्यान केंद्रित किया। इसी दिशा में पोजीटिव से मस्तिष्क को शक्तिशाली कैसे बनाऐंए यू केन सक्सीडए 360 व्यू ऑन योर करियर वॉय शूड आई से थैंक्यू और प्रेम और भावनाएं सर्वस्व हैं जैसे पॉजिटीव व प्रेरणादायक साहित्य समाज मे समर्पित किये गये हैं। पाठकों से गत दो वर्षो मे जो प्रेम और समर्थन मिलाए उसके लिए सह्रदय आभार प्रेषित करना चाहूंगा। पाठकों से अपेक्षा रहेगी कि अखबार के सम्बंध में अपना फीड बेक जरूर भेंजे।
आइये हम सब मिलकर पॉजिटिविटी की तरफ बढऩे का फैसला करें।
5 सितम्बर को शिक्षक दिवस हैए इस अवसर पर गुरू के रूप में अपनी मांए बाऊ जी व शिक्षकों को सह्रदय धन्यवाद देना ना भूलेंए क्योंकि पॉजिटिविटी को बढ़ाने का यह बेहतरीन अवसर है। प्रेमए स्नेह व शुभकामनाओं के साथ फिर मिलेंगे।
मीडिया का कार्य सत्य को समाज के सामने रखना है परंतु हमें सबसे पहले सत्य को ही समझना होगा
Dr. Sanjay Biyani(Dir. Acad.)
Neha says:
nice thought