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‘‘ सबसे बड़ी ताकत है – क्षमा करना और क्षमा माँगना। क्षमा वीरों का आभूषण है। जिसे वीर बनना है उसे क्षमा करना सीखना ही पड़ेगा।‘‘
क्षमा करना व क्षमा माँगना भी ऐसी ही एक चारित्रिक विशेषता है जो व्यक्ति को ताकतवर बना देती हैं। रावण को मान की चाहत थी। पृथ्वीराज को भी मान की चाहत थी और द्वारिका भी इसलिए नष्ट हो गई क्योंकि वहाँ भी मान की बहुत चाहत थी। मान शब्द जुड़ा है – (Ego) । जहाँ व्यक्ति अपना मान रखना चाहेगा। वहाँ रिलेशनश्पि (अच्छे सम्बन्ध) नहीं बन पाएगें। इन मान के कारण ही हम सब में से ज्यादातर लोगों के साथ प्रॉब्लम यह है कि हमको गुस्सा बहुत आता है। जरूरी है कि हम क्षमाशील बने और इस मान, क्रोध, अंहकार आदि पर नियंत्रण रखे।
जैन धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है-क्षमा पर्व और सबसे बड़ी ताकत है अगर कुछ है तो वह है -क्षमा माँगना और क्षमा करना। कहा गया है -‘‘क्षमा वीरस्य आभूषणं। अर्थात (क्षमा वीरो का आभुषण है) माफी माँगने वाला और माफ करने वाला दोनो ही व्यक्ति वीर है। इस वीरता का मतलब बाहुबल से नहीं है। जिसे वीर बनना है, उसे क्षमा करना सीखना ही पड़ेगा।
रामधारी सिंह दिनकर ने भी अपनी कविता शक्ति और क्षमा में लिखा है –
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो।
डसको क्या जो दंतहीन, विषरहित विनीत सरल हो।।
(Forgiveness is becoming of the serpent that’s got venom, none cares for the toothless, poisonless, kind & gentle one)

अगर हमनें माफ करना या माफी माँगने जैसा गुण विकसित कर लिया तो हम वास्तव में अपने गुस्से पर काबू कर सकते है और मुस्कुरा सकते है।
जो अंदर गुस्सा है वह अगर लगातार बढ़ता रहे तो वह द्वेष में बदल जाता है। गुस्से की ऐसी गाँठे ही लम्बे समय बाद गठिया रोग में बदल जाती है । अगर हम चाहते है कि Life को अच्छे से एन्जॉय करे तो हमें एक बात सीखनी होगी और वह है क्षमा-क्षमा-क्षमा। हमें अपने आप को बड़ा और ताकतवर बनाना होगा और सीखन होगा दूसरों को माफ करना और गलती होने पर दूसरों से माफी माँगना।
अब बात आती है कि माफी forgiveness वाली प्रक्रिया में दो प्रकार के लोग होते है- एक तो वह जो माफी माँगता है और दूसरा वह जो माफी देता है और दोनों ही लोग बड़े इसलिए होते है क्योंकि दोनों के बीच की कॉमन प्राब्लम खत्म हो जाती है। ये प्राब्लम है इगो की। ये माफी ही दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है जिसके बिना व्यक्ति में मान, अभिमान, क्रोध, द्वेष आदि अवगुण पनपते है।
अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी ताकत है, चीन भी शक्तिशाली है। अगर आने वाले समय में तीसरे विश्वयुद्ध की कल्पना भी की जा रही है तो उसका असली कारण होगा -स्टेटस, प्रेस्टीज, मान , अभिमान। फिर भी हमारे सामने एक विकल्प है। अगर मानव सभ्यता पिछले 10,000 वर्षो से चली आ रही है तो इसमें हमारे जीवन का अंश केवल केवल 60-80 वर्ष तक का ही है। अगर हम इस अवधि को एन्जॉय करना चाहते है और सुख चाहते है तो हमें क्षमा करना सीखना होगा। दूसरी ओर जैन धर्म की दूसरी बड़ी बात है Thankyou (धन्यवाद) बोलना। सबसे बड़ा बोला जाता है ज्ञान को यानि टीचर्स को। अतः जीवन में हम सिर्फ बातें ही ना करें बल्कि उनको प्रेक्टिकल करें। क्षमाशील बनें और क्षमा भी माँगे।

 

प्रो. संजय बियानी

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