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‘‘जीवन एक उपहार है जो कि हमें ईश्वर ने दिया है इसके लिए हमें उसका शुक्रगुजार होना चाहिए। उसे बार-बार आभार व्यक्त करना चाहिए। यही कृतज्ञता का संकेत है‘‘।
आज के युग में हम एक स्वस्थ शरीर और सुन्दर मन की कल्पना करते है। हम चाहते है कि हम एक स्वस्थ मनुष्य शरीर (perfect Human body) के साथ जीए और ईश्वर को इस अनमोल उपहार के लिए धन्यवाद ज्ञापित करे और उनसे कहे कि ‘‘हमें इस सुन्दर दिन/जीवन में अच्छा स्वास्थ्य देने के लिए शुक्रिया। शुक्रिया एक ऐसी तकनीक है जो हमारे मन-मस्तिष्क को शक्तिशाली (Powerful) बनाती है जिससे हम अपनी क्षमता को साबित कर सकते है और वह तकनीक बिल्कुल सरल है। आप में से बहुत से लोग आईडिया को जानते भी है परन्तु उसको जीवन में लागू करना अक्सर भूल ही जाते है। आईडिया है ‘‘थैंक यू‘‘ बोलने का।
कभी-कभी हमारे परिजन, हमारे माता-पिता हमसे बात करते है, हमें डाँट भी देते है परन्तु ऐसी स्थिति में भी हमें अपना आचरण अच्छा रखना चाहिएं हमें उनके विचारों का सम्मान करना चाहिए। वे कभी हमारा बुरा नहीं सोचते बल्कि जीवन के अनुभवों से हमारी भलाई की ही बात करते है। हमारी माँ हमारे जीवन की पहली टीचर है जो हममें अच्छे संस्कार डालती है और अच्छे गुणों का विकास करती है। हमें अपनी माँ को भी ‘‘थैंक यू‘‘ जरूर बोलना चाहिए। ठीक उसी प्रकार हमारे टीचर्स जो हमें ज्ञान (knowledge) देते है उन्हें भी हमें आभार व्यक्त करना चाहिए। कभी-कभी हमारी गलतियों के लिए वे हमें सजा भी देते है परन्तु इसके प्रति उनका इरादा हमें कष्ट पहुँचाने का नहीं बल्कि हममें सुधार लाना होता है। अतः जरूरी है कि हम जीवन के हर क्षण में कृतज्ञता का भावना विकसित करे। जीवन एक उपहार है जोकि हमें ईश्वर ने दिया है और इसके लिए हमें उसका शुक्रगुजार होना चाहिए। यही कृतज्ञता का संकेत है। इसी भावना के साथ ‘ ण्मोकार मंत्र‘ का उच्चारण करें। यह मंत्र सिखाता है कि अपने सभी शिक्षकों को धन्यवाद कैसे दे ? आइए सभी मिलकर बोले – धन्यवाद, धन्यवाद, धन्यवाद !
णमो अरिहंताण,।
णमो सिद्धाणं,।
णमो आयरियाणं।
णमों उवज्झायाणं
णमों लोए सव्वसादूणं।।

प्रो. संजय बियानी

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