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‘‘ हम जीवन में कुछ अच्छा सीखते रहे और परफेक्शन पूर्णता की ओर बढ़ते रहे। हमें जीवन में रोज कुछ नया सीखे। अगर हम सीखने की आदत विकसित करेंगे तो हम इसका जीवन के अन्तिम क्षण तक आनन्द ले सकेंगे।‘‘
हमे एक आदर्श छात्र बनने की जरूरत है और अपने पूरे जीवन काल में कुछ ना कुछ सीखते रहना चाहिए क्योंकि सीखने (learning) का कोई अन्त नहीं। छात्र जीवन अनुशासन में बंधा हुआ एक सर्वश्रेष्ठ जीवन है। यह हमें सकारात्मकता (positivity) को विकसित करने में मदद करता है। एक अच्छे छात्र की निम्न पाँच विशेषताएँ है:-
काक चेष्टा बको ध्यानं, स्वान निन्द्रा तथैव च।
अल्पहारी गृह त्यागी, विद्यार्थी पचं लक्षणं।।
अर्थात् एक विद्यार्थी के प्रयास और उसकी चेष्टा एक कौवे के समान होनी चाहिए। उसका ध्यान अपने कार्य पर एवं लक्ष्य पर एक बगुले की तरह केन्द्रित होना चाहिए। ठीक उसी प्रकार एक श्वान की भांति उसे सजग रहना चाहिए और अपने आसपास घटित होने वाली सभी घटनाओं का उसे ज्ञान होना चाहिए। उसे अल्पहारी (कम भोजन करने वाला ) होना चाहिए, क्योंकि अधिक भोजन आलस्य व निद्रा का संकेत है। अंत में उसे गृहत्यागी होना चाहिए अर्थात् उसे घर की सब सुख-सुविधाओं (comfort zones) से दूर रहना चाहिए। ऐसा विद्यार्थी एक आदर्श विद्यार्थी होता है। उसे अपने अध्ययन में कठोर परिश्रम करना चाहिए। हम भी उस आदर्श विद्यार्थी की तरह अपने जीवन में रोज कुछ नया सीखना चाहिए। अगर हम सीखने की आदत विकसित करेंगे तो हम इसका जीवन के अन्तिम क्षण तक आनन्द ले सकंेगे।
यह आदर्श छात्र ही भविष्य में आगे चलकर एक आदर्श शिक्षक बनेंगा जो कि अपने छात्रों को अभिप्रेरित (motivate) करेगा। सवाल है कि एक आदर्श शिक्षक में क्या गुण होने चाहिए ? एक आदर्श शिक्षक वह है जो कि अच्छे विचार देने वाला हो, जिसमें सुनने की क्षमता हो, जो कि पूर्णता (perfection) की ओर अग्रसर होने का आचरण रखता हो, जिसमें कुछ बेहतर करने की कुशलता हो और जो आलोचना को सुनने की शक्ति रखता हो । इसलिए कहा गया है –
निदंक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाए।
बिन पानी, साबुन बिना, निरमल करें सुभाय।।
जो हमारी निन्दा करता है उसे अपने अधिकाधिक पास ही रखना चाहिए। वह तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियाँ बताकर हमारे स्वभाव को साफ कर देता है। तो अगर हमें अपने जीवन में कुछ पाना है तो कुछ आदर्श गुणों को अपनाना होगा, एक अच्छे आचरण को विकसित करना होगा, क्षमाशीलता (forgiveness) कृतज्ञता (gratitude) आदि को विकसित करना होगा तभी हम जीवन के भौतिक सुख जैसे अच्छा स्वास्थ्य, मधुर सम्बन्ध, कैरियर, जॉब, बिजनेस आदि को सफल बना सकेंगे। हर कार्य के अंत में व शुरूआत में थैंक्यू शब्द का प्रयोग बार-बार करें। अपने ज्ञान की तकत का जीवन में व्यावहारिकता (practical aspect) से जोड़ने का प्रयास करे।

 प्रो. संजय बियानी

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