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प्रसन्नता (Happiness) हममें पॉजिटिव एनर्जी लाती है। जो हमारे भाग्य को बदल सकती है। हम अच्छे कार्य करके अच्छा भाग्य बना सकते है। इसलिए कहा गया है -कर्मयोग आपका भाग्य बदल सकता है (The power of karma can change your destiny)
लोग कहते है कि इस सम्पूर्ण ब्रहाण्ड में दो चीजे अत्यन्त प्रभावी रूप से कार्य करती है। प्रथम भाग्य दूसरा कर्म। लेकिन आज जीवन के उस रहस्य (secret) को बँाटा जाना चाहिए जिससे इसमें कुछ सुधार हो सके। यह एक बहुत महत्त्वपूर्ण, शक्तिशाली व पॉजिटिव विचार है। यह आइडिया हमारी सोच जगा सकता है या हमारी सोच को बदल सकता है। अगर कोई भविष्यवक्ता हमारे लिए भविष्यवाणी करें तो क्या आप मानते है कि सच में ऐसा हो सकता है? हम बिना कुछ विचार किए आँख बंद करके उसकी बातों पर विश्वास कर लेते है।
सवाल है कि अगर आप क्लास में फर्स्ट या सैकण्ड रैंक लाते है तो आप कैसा महसूस करते है ? निश्चित रूप से आप बहुत खुश होते है। ऐसा तब भी होता है जब आपका किसी इंटरव्यू में चयन हो जाए और किसी अच्छी जॉब के लिए आपको कॉल लैटर मिले। ये सब क्षण हमारी खुशी से जुड़े है।
एक बात पर गौर करें और सोचे कि हमनें कल के 24 धण्टों में से 18 घंटे किस तरह बिताए- खुश रहकर या दुःखी रहकर ? क्या हम ईर्ष्यालु (jealous) हुए, दुःखी हुए, क्रोधित हुए, उदास हुए, किसी के प्रति या फिर हमनें यह समय सुख, शंाति और प्रसन्नता के साथ बिताया। हमने कितने लोगों की बुराई की व उन्हें दुःखी किया ? या हमने किन-किन की तारीफ की और उनके चेहरे पर एक मुस्कान देखी ?
अगर हम अपनी इन भावनाओं को अपने कार्यो से जोड़े तो हम यह देखेंगे कि भविष्य में वह सब होने वाला है जैसा कि हम सोच रहे है और कर रहे है। अगर हम 18 घंटे दुःख के दायरे में गुजारेंगे तो हमें मान लेना चाहिए कि हमारे साथ भविष्य में कुछ बुरा ही होगा और अगर हम अच्छा सोचेंगे तो निश्चित रूप से हमारे दिन अच्छें आएँगे।
प्रसन्नता (Happiness) हममें पॉजिटिव एनर्जी लाती है। जो हमारे भाग्य को बदल सकती है। हम अच्छे कार्य करके अच्छा भाग्य बना सकते है। इसलिए कहा गया है -कर्मयोग आपका भाग्य बदल सकता है (The power of karma can change your destiny)। हमें खुश रहने के लिए हर व्यक्ति को कार्य के प्रति धन्यवाद देना चाहिए।
बुरी सोच हमें बुराई की ओर ले जाएगी जिससे हमारे भाग्य का पतन होगा। दूसरों की आलोचना करने की बजाय कॉम्प्लीमेंट देने में ही सफलता है। ऐसी सोच से हम अपनी जॉब, रिलेशनशिप, कैरियर, हैल्थ, बिजनेस आदि को समृद्ध (prosperous) बना सकते है। ऐसा करके हमे अपनी खुशी की सीमा को मापना चाहिए और स्वयं को फैसला (judge) करना चाहिए कि हम कितने खुश है ? अगर आप निष्पक्ष (neutral) है-यानि न ही खुश है व न ही उदास है तो भी कोई फायदा नहीं होने वाला है। आप वही बने रहेंगे जहाँ आप है।
जीवन बहुत सरल है। खुश रहिए और दूसरों को खुश रखिए। ये खुशी ही आपकों सफलता के मुकाम तक पहुँचा सकती है।

 

 प्रो. संजय बियानी

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  1. shweta says:

    प्रसन्नता (Happiness) हममें पॉजिटिव एनर्जी लाती है। जो हमारे भाग्य को बदल सकती है really right

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