दीपावली हम सभी के जीवन में प्रेम, उत्साह उमंग व समृद्धि का परिचायक है। ऐसा देखा गया है कि जिन देशों में साफ सफाई का स्तर बहुत अच्छा है, वहां आर्थिक समृद्धि व स्वास्थ्य का स्तर भी बहुत ही अच्छा है। जब बाहर का वातावरण स्वच्छ होता है तो प्रसन्नता का अनुभव होता है और इसके परिणाम स्वरूप समृद्धि व स्वास्थ्य भी बढऩे लगता है। इस वर्ष आज तक डेंगू के लगभग 360 केस जयपुर में और लगभग 1782 संपूर्ण राजस्थान में पॉजिटिव पाए गए, वहीं स्वाइन फ्लू के लगभग 2061 जयपुर में और लगभग 6706 राजस्थान में पॉजिटिव केस सामने आए। अगर गौर से देखें तो इन बीमारियों का कारण हमारे आसपास फैली गंदगी तो है ही इसके साथ-साथ हमारी लचर प्रशासनिक व्यवथाएं व रिसर्च के प्रति उदासीन रवैया भी है। टैक्नोलोजी के इस युग में जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह कहना कि सर्दी बढ़ेगी तो डेंगू अपने आप ही कम हो जाएगा, क्योंकि ठंड में लार्वा पनपेगा ही नहीं। यह दर्शाता है कि आज भी हमारा स्वास्थ्य विभाग पूर्णत: प्रकृति की मेहरबानी पर ही निर्भर है। अगर हम सब लोग प्रकृति के अधीन ही है तो हमारा भी तो कोई अस्तित्व होगा ? हम कब तक ईश्वर व प्रकृति के भरोसे बैठे रहेंगे? शायद ईश्वर ने हम सभी को मस्तिष्क इसलिए दिया है कि हम सभी समस्याओं के समाधान को खोजें। आज भी हम स्वास्थ्य व स्वच्छता के स्तर में बेहद पिछड़े हुए हैं। हालांकि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी की पहल से स्वच्छता का स्तर बेहतर हुआ है।
गौरतलब है कि डेंगू होने का पता टेस्ट के द्वारा लगभग 48 घंटो में चलता है, वहीं स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों के पोजिटिव होने का पता पी.सी.आर. तकनीक द्वारा 48 घंटों में चलता है। इस कारण मरीज की मृत्यु होने की सम्भावनाएं बहुत बढ़ जाती है इसी बात को ध्यान में रखते हुए बियानी गु्रप ऑफ कॉलेजेज के रिसर्च
डायरेक्टर डॉ. मनीष बियानी द्वारा स्वाइन फ्लू टेस्टिंग हेतु एक पेपर चिप डिवाइस तैयार कर लिया गया है। यह डिवाइस क्रोमेटोग्राफी तकनीक पर आधारित है तथा जापान जैसे अग्रणी देश में बहुतायन में प्रयोग किया जा रहा है। जब बीमारी का पता पांच मिनट में हो जाए तो ईलाज करना कितना आसान हो जाएगा। इसी तरह डेंगू के लिए भी पेपर चिप तैयार की जा सकती है। इसके लिए टैक्नोलोजी की जरूरत है जो उपलब्ध होने के बावजूद भी सरकार की उदासीनता व प्रशासनिक कमजोर निर्णय क्षमता के कारण जन साधारण तक नहीं पहुंच पा रही है। हम सभी सर्दी के कम होने या गर्मी के बढऩे का इंतजार करते रहते हैं। कितना अच्छा हो कि सरकार रिसर्च व तकनीक में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रदेश में व्याप्त बायोडायवरसिटी के अनुरूप रिसर्च पर ठीक से ध्यान देकर खुशहाली लाने की पहल करे। इसके लिए सरकारी स्तर पर तीव्र इच्छा शक्ति व निर्णय लेने की आवश्यकता है।हम सभी जानते है कि प्रकृति द्वारा प्रदत्त हर पदार्थ की विपुल उपयोगिताएं
हैं। हर राष्ट्र समृद्ध तब होता है जब वह अपने यहां उपलब्ध संसाधनो को उचित प्रकार से विकास से जोड़ता है। राजस्थान प्रदेश में उपलब्ध वनस्पति यथा खेजड़ी,ग्वारपाठा, केले के पते, यहां के पशु यथा ऊँट, बकरी और भेड़ पर बड़े स्तर की रिसर्च किए जाने की आवश्यकता है। प्रदेश की सबसे बड़ी धरोहर उसकी वनस्पति, पशु संपदा व खनिज संपदा के विदोहन व रिसर्च पर बहुत ही कम ध्यान दिया गया है। निश्चित रूप से इन सब में मेडिकल व अन्य प्रोपर्टीज बहुतायत से उपलब्ध हैं। जो देश कभी ईश्वर तत्व तक की खोज
कर चुका था वह आज नई तकनीक या नई खोजों के लिए दूसरे देशों पर ही पूर्णत: निर्भर रहता है। रिसर्च के फील्ड में हमें आज तक नोबेल प्राईज नहीं मिला, इस दिशा में आत्ममंथन की आवश्यकता है।दीपावली हम सभी के जीवन में ज्ञानरूपी प्रकाश जगाये ताकि अज्ञानरूपी स्वार्थ का अंधेरा खत्म हो सके और हम सभी ना सिर्फ बाहरी स्वच्छता की दिशा में आगे बढ़ सकें बल्कि हमारे मन, कर्म और वचन में एकरूपता ला सकें व सेवा के द्वारा परमार्थ से जुड़ सकें। इस अवसर पर मैं बियानी टाइम्स टीम की तरफ से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। प्रेम, स्नेह व सम्मान के साथ … फिर मिलेंगे … शुभ दीपावली ।

Author:Dr. Sanjay Biyani(Dir. Acad.)
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