नई शिक्षा नीति 2019 – हमने अपने पूर्व संपादकीय आलेख में इस बात को भली-भांति रेखांकित किया कि किस प्रकार शिक्षा व्यवस्था में तेजी से बदलते आज के वैश्विक परिदृश्य के हिसाब से मूलभूत बदलाव की आवश्यकता बहुत देर से महसूस की जा रही थी। वर्तमान शिक्षा नीति जो कि १९८६ में लागू हुई थी […]

ध्यान योग (ध्यान का तरीका) ये अध्याय उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जिनकी उम्र 15 से 25 के बीच है, जिनकी एकाग्रता कम है जिसके कारण उनका मन पढाई में नहीं लगता और उनका काम भी प्रभावित होता है। इस अध्याय में अर्जुन और कृष्ण का संवाद आपके जीवन में बदलाव लाने वाला […]

इस एपिसोड जिसका नाम है ‘‘कर्मसंन्यासयोग‘‘ में कार्यक्रम के सूत्रधार डाॅ. संजय बियानी द्वारा बताया गया है कि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ मानसिक है, जिसके लिए जरूरी है कि हम अपने मन और शरीर को जाने और जैसे हर बीमारी की कोई ना कोई दवा जरूर होती है वैसे ही हमारी समस्त मानसिक बीमारियों की भी […]

श्रीमद्भगवद्गीता (संजय की नजर से) चौथा अध्यायः ज्ञानकर्मसन्यास योग सांख्य योग में ज्ञान की बात हुई तो कर्म योग में शरीर की बात हुई, शरीर से कर्म कैसे किया जाए और बुद्धि से ज्ञान मार्ग पर कैसे चला जाए इसे जाना, लेकिन अब ईश्वर को जानना जरुरी है। क्योंकि अर्जुन का सवाल था कि मैं […]

श्रीमदभगवदगीता (संजय की नजर से) तीसरा अध्याय- कर्म योग श्रीमद्भगवद्गीता का तीसरे अध्याय हमें अपने जीवन की कई समस्याओं का हल जानने में मदद करता है। किसी काम को करने में हम सफल क्यों नहीं होते। हमें उसे करने का तरीका मालूम नहीं होता। ये ऐसे प्रश्न है जो हमारे सामने आते हैं। ऐसे ही […]

अक्सर हम सभी लोग दो सवालों के जवाब ढूंढा करते हैं। मुझे लगता है ये सवाल बहुत महत्त्वपूर्ण है। पहला सवाल है- मैं कौन हूं? और दूसरा सवाल है- मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? जब इन दोनों सवालों का जवाब मिल जाता है, तो मन में शांति आती है, खुशियां आती हैं। हम सभी […]

ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी में अहम योगदान प्राप्त, 12 मानद डिग्रियों और अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान प्राप्त स्टीफन हॉकिंग भले आज इस दुनिया में ना रहे हो लेकिन आज के युवाओं के लिए आत्ममंथन और प्रेरणा के लिए स्पष्ट पदचिन्ह छोड़ गए। 21 वर्ष की आयु में डॉक्टर्स ने हॉकिंग को […]

स्वार्थ, स्वार्थ, स्वार्थ चारों तरफ स्वार्थपरक दुनिया बनती जा रही है। जिसको देखो येन केन प्रकारेण सबको पैसा चाहिए, प्यार चाहिए लेकिन सिर्फ अपने लिये, दूसरों को देने के लिये उनके पास न प्यार है न पैसा। स्वार्थ की धुन में कुछ लोग इतने डूब जाते हैं कि उन्हें सही-गलत का फर्क ही पता नहीं […]

नरसिम्हा राव सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1991 में एक समय आया था, जब भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह कर्ज में डूब कर दिवालियेपन की दिशा में पहुंच चुकी थी। सरकार के पास देश का सोना गिरवी रखकर ऋण लेेने के सिवाय, कोई भी रास्ता नहीं बचा था। इसका प्रमुख कारण सेवा व उद्योग जैसे […]

बहुत समय से मैं इस विषय पर रिसर्च करता आ रहा हूँ कि आदमी के जीवन में उसके नाम का क्या महत्त्व है और उनके नाम के अनुसार उनका व्यक्तित्व कैसा है ? मैंने पाया कि जिसका जो नाम है लगभग -लगभग उसका व्यक्तित्व एक लंबे समय बाद वैसा ही बन जाता है। जरा सोचे […]