भौतिक शरीर अत्यन्त शक्तिशाली है किन्तु आपके अनुसार कौन अधिक शक्तिशाली है-हमारा मस्तिष्क या शरीर ?
जब आपके समक्ष कोई प्रश्न रखा जाता है तब आपको उसका ज्ञान होता है। इसलिए परीक्षा के समय आप अधिक सचेत हो जाते हैं और इस दौरान पूरे वर्ष की अपेक्षा अधिकाधिक सीखते हैं और परीक्षाकाल के अतिरिक्त अन्य समय में पढ़ी गई अध्ययन सामग्री की अपेक्षा अधिक याद कर पाते हैं।
इस दौरान हम 60.70 % सीखा गया ज्ञान प्रभावी रूप से कंठस्थ (memorise) रख पाते हैं क्योंकि हमारा मस्तिष्क अत्यधिक शक्तिशाली है और आप उस दौरान एकाग्रचित होते हैं।
मस्तिष्क अत्यन्त शक्तिशाली उपकरण है किन्तु हम अपने मस्तिष्क को बहुत ही आरामदायक स्थिति में रखते हैं । यदि हम अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करे तो यह कई चमत्कार कर सकता है। यह सम्पूर्ण शरीर को निर्देशित करता है। आप अपने मस्तिष्क की सहायता से अद्भुत चमत्कार कर सकते हैं। अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने हेतु आपको सही दिशा में सोचना होगा। जैसे ही आप अपने मस्तिष्क में एक विचार प्राप्त करते हैं आप सोचना शुरू कर देते हैं जैसे ही आप सोचते है आपमें भावनाएँ उत्पन्न होती हैं और यह भावना स्पन्दन उत्पन्न करती है जो ऊर्जा उत्पन्न करता है। यदि मस्तिष्क सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करता है तो अंततः आप सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करेंगे और इसके फलस्वरूप आप सकारात्मक रूप से आवेशित होंगे और यह आपके कार्यो में भी प्रतिबिम्बित होगा। आपके विचार, क्रिया (action) उत्पन्न करते हैं और बार-बार होने वाली क्रियाएँ हमारी आदतों का निर्माण करती है। अपनी आदतों को देखिए जो आपके स्वभाव (attitude) का निर्माण करती हैं। इस स्वभाव के कारण भाग्य का निर्माण होता हैं। इस तरह हम ही अपने भाग्य के निर्माता हैं।
अपने विचारों को महत्त्व दीजिए और प्रतिदिन एक सकारात्मक विचार लिखिए। उस विचार का अनुभव कीजिए। प्रत्येक सुबह तथा रात को सोने से पूर्व उसे जोर से पढ़िए तभी आपको बुरे स्वप्न से मुक्ति प्राप्त होगी और एक आनन्ददायक सुबह के साथ दिन का आविर्भाव होगा। इससे एक अच्छी मनःस्थिति का निर्माण होगा।
हममें से प्रत्येक के पास एक मस्तिष्क है किन्तु सबकी विभिन्न मनोस्थितियाँ है। मस्तिष्क एक hardware है और मनःस्थिति एक software है जो अधिक महत्त्वपूर्ण है। साॅफ्टवेयर को श्रेष्ठ बनाने हेतु आपको एक समुचित विचार रखना होगा। शरीर के लिए भोजन आवश्यक है और सकारात्मक ऊर्जा ही मस्तिष्क का भोजन होती है।
प्रतिदिन अच्छे विचार न केवल लिखें अपितु दूसरों के साथ बाँटे भी । जितना आप बाँटेंगे यह आपके ऊपर उतना बेहतर प्रभाव डालेंगे। इस प्रकार यह आपके साॅफ्टवेयर अर्थात् मनोस्थिति पर स्थायी प्रभाव डालेगा।
यह विचार प्रबंधन (management) हमारे जीवन का श्रेष्ठ उपकरण है। जो हम देखते है वह हमारे मस्तिष्क में जाता है और कार्यो में कुछ समय बाद प्रतिबिम्बित होता है। अतः कुछ क्षण के लिए आइए कुछ अच्छा सोचे और गायत्री मंत्र का समुचित अर्थ समझते हुए उच्चारित करें। आपके प्रत्येक कर्मो के पीछे एक सही कारण या तर्क होना चाहिए। जब आप अपने तर्क का प्रयोग करते है तो आप एक अच्छा भाव एवं अच्छी ऊर्जा उत्पन्न कर पाते हैं।
ॐ भू र्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमही
धियो योनः प्रचोदयात्।
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sushil says:
really nice blog
Preeti Sharma says:
A useful thought for societysociety…