आज का विचार-‘‘दूसरों को जीतने की विधि’’ लोगों को कैसे जीतें और लोगों से हाँ कैसे करवाएँ। हैं ना राज की बात। मैं बताता हूँ आपको। लीजिए क्या आपको अच्छी हैल्थ चाहिएघ् जवाब मिलेगा हाँ। क्या आपको अच्छे त्मसंजपवद चाहिएघ् हाँ……क्या आपको बहुत सारी दौलत चाहिएघ् हाँ…क्या आपको शानदार करियर चाहिएघ् जवाब है हाँ।…..तो आपको […]

आज का विचार-‘‘रूप चतुर्दशी की शुभकामनाएँ’’   आज रूप चौदस है, दीपावली के एक दिन पहलें का दिन, खूबसूरती का दिन, महिलाओं का दिन, अच्छा दिखने का दिन। अच्छा दिखना कितना जरूरी है, यह हमें खुशी देता है, लेकिन मैं आपको एक खास बात बताना चाहता हूँ, यह रूप चौदस कैसे आया और प्रतिदिन रूप […]

आज का विचार-‘‘प्रेम कैसे करें’’   कुछ लोग अभी नए रिश्ते में बंधे हैं या वे नया काम करने जा रहे हैं वे जानना चाहते हैं कि प्रेम कैसे करेंघ्……मैं आपको बताता हूँ प्रेम करने का सही तरीका।……. देखिये आप जिससे भी प्रेम करना चाहते हैं, आप उसकी आवश्यकताओं के अनुसार हो जाइये, उसके स्वाभाव […]

  आज का विचार-‘‘लडाई’’  आज का विचार है कि, एक दिन आपका किसी से झगडा हो गया है, आप ये सोच रहे हैं कि बाहर की वजह से अन्दर लडाई हुई थी या, अन्दर की वजह से बाहर लड़ाई हुई थीघ् ……मैं आपको बताता हूँ इस लडाई का आरंभ आपके अन्दर से हुआ था। आपका […]

  अष्टांग योग में एक शब्द आता है अस्तेय अर्थात् चोरी न करना। कुछ लोग कहते हैं मैंने छोटी चोरी की है और दूसरे ने बडी चोरी की है। मुझे लगता है छोटी और बडी चोरी नही होती ये तो अवसर होता है जिसे बडा अवसर मिला उसने बडी चोरी की, जिसे छोटा अवसर मिला […]

मोक्ष सन्यास योग (आनन्द व मोक्ष) पिछले अध्याय में हमने श्रद्धा के भाव को जाना। श्रद्धा के प्रकारों और श्रद्धा का शास्त्र, भोजन, यज्ञ, तप और दान संबंध को समझा। श्रद्धा का गहरा अर्थ है। इसके बाद किसी पर अविश्वास नहीं होता है। इस अवस्था के बाद मनुष्य मोक्ष को समझ जाता है। गीता के […]

श्रद्धात्रय विभाग योग (प्रेम व श्रद्धा) पिछले अध्याय में हमने जाना कि इस दुनिया में दो प्रकार के पुरूष होते हैं-एक दैवीय और दूसरे आसुरी प्रवृत्ति के। दैवीय प्रवृत्ति के लोगों को मुक्ति मिलती है एवं आसुरी प्रवृत्ति के लोगों को पुनर्जन्म, और वह भी निम्न श्रेणी में। अब आपके मन में यह प्रश्न आयेगा […]

देवासुर सम्पदा योग(मुक्ति) कहते हैं श्रीमद् भगवद् गीता भगवान की वाणी है। मात्र 45 मिनट मं भगवान कृष्ण ने सारा ज्ञान अर्जुन को दे दिया। जैसे-जैसे समय बीतता गया उसके साथ ही प्रबुद्ध व्यक्तियों द्वारा उसके संबंध मंे अलग-अलग व्याख्यायें की गई। आज जितने भी सम्प्रदाय हैं वे अपने शास्त्रों के संबंध में अलग-अलग व्याख्या […]

पुरूषोत्तमयोग (जीवात्मा) इंसान बहुत ही अद्भुत है, शक्तिशाली है उसकी सदैव ही स्वयं को जानने की इच्छा रही है। आज से लगभग 5,150 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान आपका आपसे परिचय करवाने में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान देगा। कहा जाता है कि मात्र 45 मिनट में ही यह गूढ ज्ञान श्रीकृष्ण […]

गुणत्रय विभाग योग (त्रिगुण) सदियों से इंसान की खोज रही है, खुद को जानने की, खुद को समझने की, खुद को खोजने की सुख व शान्ति में फर्क करने की, इंसान इस खोज में बाईबिल की तरफ बढा, कभी कुरान की तरफ बढा, कभी गुरूग्रन्थ साहिब की ओर बढा, लेकिन सभी जगह एक सामान्य बात […]