अक्सर यह बात होती है कि स्मार्टफोन्स आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंव रोबोटिक्स के प्रयोग समाज के हित मे हैं अथवा नहीं? अगर हम एक नजर प्राचीन समय मे ड़ालें तो पाते हैं कि जहां मशीनो ने मनुष्य के द्वारा किए जा रहे शारिरिक श्रम को कम कर इंसान को बौधिक स्तर के विकास के लिए अवसर प्रदान किए हैं।वरना आज भी इंसान शारिरिक श्रम,मजदूरी,खेती इत्यादि करते नजर आते।इसी तरह कम्यटर के आ जाने के पश्चात आदमी को गणना एंव डिजाइनिंग के कार्यों मे आसानी हुई।जिसकी वजह से इंसान बौधिक स्तर के नये आयामो की ओर बढ़ा।वर्तमान मे इसान को निर्णय लेने मे साफ्टवेयर्स और रोबोट्स काफी मदद करने लगे हैं। इस कारण इस बात की संभावना बढ़ गई है कि मनुष्य बौधिक स्तर के नये नये आयमों की पुन: खोज कर सकेगा।जैसा कि हम जानते हैं कि,हम हमारे अंदर व्याप्त संभावनाओं मे से बहुत ही कम संभावनाओं को जान पाए हैं तथा इसका उपयोग कर पाए हैं।स्मार्टफोन्स,आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स तकनीकि के विकास से यह संभव हो पाएगा कि मनुष्य अपने अंदर छुपी हुई नई संभावनाओं की खोज कर सके।

दूसरी ओर बहुत से लोग प्राय: यह कहते नजर आते हैं कि इन सब तकनीको की वजह से मनुष्य लाचार हो जाएगा तथा उसका स्थान राबोट्स ले लेंगे।वास्तव मे इन मशीनी विकास के कारण जो समय बचेगा उसका उपयोग कर इंसानी संभावनाओं को तराशा जा सकेगा।

एक और महत्वपुर्ण बात यह है कि तकनीकी प्रगति तभी इंसानियत के लिए वास्तविक वरदान साबित होगी जब इंसान इन सबसे पहले स्वयं की खोज करने की आदत ड़ाल ले।जब इंसान स्वयं को तथा अपने जीवन के उद्देश्य को समझ लेगा तभी वह अपने द्वारा निर्मित मशीनों का इस्तेमाल कर अपने जीवन को उन्नत बनाकर अपने अंदर छिपी अपने अंदर छिपी अपार संभावनाओं को प्राप्त कर सकेगा।

इन दिनो करोना वायरस को लेकर पूरे विश्व मे भय व्याप्त हो गया है। इस भय के कारण शेयर बाजारों मे भारी गिरावट आ गई है।इस भय के कारण जो मानसिक तनाव व्याप्त हुआ है उससे निश्चित ही मनुष्य के स्वास्थय पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।मनुष्य पर बाहरी वस्तुओं के लिए आकर्षण अगर इस कदर हावी है कि वह अपने आंतरिक स्वरूप को ही नही पहचान पा रहा।यदि हम ठीक से इन सबका कारण खोजें तो यही पाएंगे कि इसके मूल मे मनुष्य का ही स्वार्थ छिपा हुआ है।करोना वायरस फैलने का प्रमुख कारण प्रकृति का अनावश्यक विदोहन व स्वार्थ की भावना ही रही है।चीन के वुहान शहर मे स्वार्थ की भावना से किए गए प्रयोग न सिर्फ चीन के लिए भयंकर साबित हुआ है बल्कि पुरे विश्व के लिए के मानवता पर एक संकट बन गया है।

आइए मानव इतिहास के सर्वोत्म समय मे रहने का गौरव महसूस करें तथा प्रयास कर स्वयं की खोज करें ताकि स्वार्थ से परमार्थ के पथ पर चल सकें ।

सस्नेह ,प्रेम और सम्मान के साथ..

डॉ. संजय बियानी

15 मार्च 2020

 

 

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