‘‘हमें भारतीय होने का गर्व होना चाहिए। हमारा जो ज्ञान knowledge है वो बहुत rich रहा है। हमारा देश सोने की चिड़िया इसी ज्ञान और संस्कृति के कारण जाना जाता है।‘‘
तक्षशिला के आचार्य थे- चाणक्य जिनका बचपन का नाम था-विष्णुगुप्त। वे एक महान शिक्षक, दार्शनिक, अभिप्रेरक और सम्राट बनाने वाले king Maker थे। उनका जन्म एक जैन परिवार में हुआ था। कहते है जन्म के समय ही इस नवजात शिशु के मुख में एक दाँत था। उनके पिता उन्हें एक जैन मुनि बनाना चाहते थे परन्तु ज्योतिषों की भविष्यवाणी थी कि वे बड़े होकर एक महान सम्राट बनेंगे। उनके पिता इस भविष्यवाणी से खुश नहीं थे। किसी एक ज्योतिष ने उन्हें बताया कि अगर आप इस बालक का एक दाँत निकाल देंगे तो यह बड़ा होकर सम्राट नहीं बल्कि सम्राट बनाने वाला पुरूष बनेगा। यह भविष्यवाणी सच हुई। उन्होंने राज्यधर्म से सम्बन्धित नीतियाँ बनाई। इन्हें चाणक्य नीति बोला गया। चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होनें यह प्रश्न रखा कि राजतंत्र ऊपर होना चाहिए या संविधान। राज्यधर्म ऊपर होना चाहिए या शास्त्र ? 2200 वर्ष पूर्व ऐसी बात सेाचना बहुत बड़ी बात थी। जिस संविधान की आज हम कल्पना करते है वह तो केवल विश्व में 200-300 वर्ष ही पुराना है । परन्तु यह बात लगभग 2200-2300 वर्ष पूर्व की है जब एक महान शिक्षक ने तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी जहाँ सम्पूर्ण भारत में विश्व से लगभग 10,500 विद्यार्थी अध्ययन करने आते थे।
राजतंत्र की नीतियों में कुशल थे चाणक्य, जिन्होंने कौटिल्य भी कहाँ जाता है। उनका मानना था कि भारत में इसी तरह लोग आते रहेंगे और ऐसे ही आक्रमण करते रहेंगे। जब तक देश संगठित नहीं होगा तब तक इसी तरह से समस्याएँ आती रहेंगी। कौटिल्य मानते थे कि शास्त्रों से ऊपर राजा का शाासन या विधान होता है। मगध के सम्राट धनानंद को भी चाणक्य ने चुनौती दी थी। इन्होंने एक महान् सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को भी अच्छा शासक बनने के लिए अभिप्रेरित किया जिन्होंने कि मौर्य साम्राज्य की नींव डाली।
जो लोग हमारा इतिहास, परम्परा संस्कृति आदि को नही जानते वे चाणक्य नहीं बन सकते। चाणक्य बनने के लिए जरूरी है कि हम उस महान् व्यक्ति के बारे में तथा अपनी देश के गौरव, इतिहास और संस्कृति के बारे में अच्छी समझ विकसित कर ले अन्यथा हम अपने देश को मानसिक गुलामी की ओर ले जाएंगे। हमें भारतीय होने का गर्व होने का गर्व होना चाहिए। हमारा जो ज्ञान knowledge है वह बहुत समृद्ध rich रहा है। हमारा देश सोने की चिड़िया इसी ज्ञान और संस्कृति के कारण जाना जाता था।
हमारा संविधान हमें बोलने का अधिकार देता है। परन्तु कुछ लोग इसका दुरूपयोग करते है। अगर हम अपने देश का इतिहास पढ़े और उन महान लोगांे की बात करें जिन्होने हमारे देश का गौरव बढ़ाया है तो हम उस पर फर्क महसुस करेंगे। यह समझना जरूरी है कि हम बहुत ताकतवर है। जब हम बहुत अधिक विचारों का सोचते है तो हमारी एकाग्रता कम हो जाती है । अतः हमं ध्यान (meditation ) के द्वारा अपने दिमाग को एकाग्र करना चाहिए। जैन धर्म के णमोकार मंत्र का उच्चारण करते हुए सभी शिक्षकों का धन्यवाद करना चाहिए और अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए जैसा कि चाणक्य ने अपने छात्रों को अभिप्रेरित करके एक महान दार्शनिक और एक अच्छे शिक्षक की भूमिका निभाई।
To know more about Prof. Sanjay Biyani visit www.sanjaybiyani.com
Poonam says:
nice blog
Rahesh Agarwal says:
very nice thought
rekha says:
grand salute sir