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‘‘ जीवन का हर पल हर क्षण प्रश्न खड़ा कर सकता है। जवाब मन से आना चाहिएं हमारी असली ताकत हमारा मन है। वह सुन्दर होगा तो हमारे विचार सुन्दर होगे और हमारा स्वरूप अपने आप ही सुन्दर हो जाएगा।‘‘
जीवन में उठने वाले प्रश्नों का सही उत्तर हमें मालुम होना चाहिए जिससे हम अपनी रोज की जिन्दगी से टेंशन, डिप्रेशन और नेगेटिविटी (नकारात्मकता) को खत्म कर सकें। अगर आप से पूछा जाए कि क्या आप सुन्दर है ? तो कुछ लोगों का जवाब होगा ‘नही‘ क्योंकि वे बाहर की सुन्दरता से अधिक प्रभावित है। दूसरी ओर अगर आप समझते है कि आप सुन्दर है तो आपका जवाब होगा ‘हाँ‘। परन्तु कुछ लोग आपकी इस बात का विरोध करके कह सकते है कि ‘‘हमे तो ऐसा नहीं लगता‘‘। परन्तु आपके भीतर से आवाज आनी चाहिए -‘‘मुझे तो ऐसा लगता है। मैं इस सुन्दरता को महसूस कर सकता हूँ।‘‘
बात है आन्तरिक सुन्दरता यानि मन की सुन्दरता की। हमारा आत्मविश्वास एवं साहस ही हमसे यह कहलाता है कि ‘‘सच में! मैं सुन्दर हँू।‘‘ क्योंकि मैं हर व्यक्ति के प्रति दया रखता हूँ, प्रेम करता हूँ। मेरा मन ऐसी दृष्टि से बहुत सुन्दर है। मेरे मन के विचार भी ऐसी सुन्दरता से जुड़े हुए है। मेरे सुन्दर विचारों वाला मन मुझे सुन्दर बनाता है इसी कारण से मैं सुन्दर हूँ। बाह्य सुन्दरता का इससे कोई सम्बन्ध नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बाहरी दुनिया सिर्फ एग्जामिन करती है। सुन्दरता तो प्रेम-प्यार, सद्भाव, अच्छा व्यवहार और पॉजिटिविटी का दूसरा नाम है। अगर हम खुद की तारीफ करना जानते है तो दूसरे भी हमारी तारीफ ही करेंगे। अगर हमें खुद पर विश्वास नहीं होगा तो हम ठीक से मुस्कुरा भी नहीं सकते और ना ही अपने मन की शक्ति और सुन्दरता का एहसास कर सकते है।
हमें समझना होगा कि दुनिया के सभी आमजनों में हमारी अलग पहचान है। हम खास है क्योंकि हम हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते है और ऐसा करने के बाद हमें खुशी मिलती है। मन की सुन्दरता को समझने के बाद आपकों किसी भी ब्यूटी पार्लर जाने की जरूरत नहीं है। वहाँ हमारे चेहरे को सुन्दर बनाकर हमें सुन्दर दिखाया जाता है जबकि मन को सुन्दर बनाना हो तो मेडिटेशन से अच्छा और कोई तरीका नहीं है। मेडिटेशन से हम दिन प्रतिदिन अपनी इस सुन्दरता को बढ़ा सकते है। मन सुन्दर होगा तो तन अपने आप ही सुन्दर हो जाएगा। सिद्धि विनायक (गणेशजी) को नमन करते हुए एवं पूरी एकाग्रता से इस मंत्र का उच्चारण करके हम उस पॉजिटिविटी तक पहुँच सकते है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः ।
निर्विघ्नं कुरू में देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

 

प्रो. संजय बियानी

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  1. uma says:

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    वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः ।
    निर्विघ्नं कुरू में देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

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