प्रत्येक दिन और प्रत्येक पल एक उत्सव है। यदि आप वर्तमान का आनन्द ले रहे हैं तो यही जीवन जीने का उचित तरीका है। हम इस प्रवृत्त्ति को अपने जीवन में कैसे विकसित कर सकते हैं। एक आध्यात्मिक व्यक्ति कैसे बना जाए जो कि शांति का अनुभव कर सके और सुख की प्राप्ति कर सके। प्रत्येक मनुष्य को एक दिन जाना होगा। कोई भी अमर नहीं है। यह जीवन का सबसे बड़ा सत्य है कि एक दिन हमें यह संसार त्यागना होगा फिर भी हम पूरे समय अनेक कार्यो में लिप्त रहते हैं।
यहां कई लोग हैं जो अपने जीवन का मूल्य कम आंकते हैं और जीवन का आनन्द नहीं ले पाते हैं। कई लोग ऐसे हैं जिन्हें प्रार्थना करना और अच्छी बाते सुनना व्यर्थ कार्य लगता है।
यदि मैं यह कल्पना करूं कि आज यह मेरे जीवन का अन्तिम दिन है तो मैं अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ बेहतर करने का प्रयास करूंगा। यह दृष्टिकोण आपको आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान करेगा।
आप प्रातः काल धन्यवाद दे सकते हैं क्यों कि आज आप जीवित एवं स्वस्थ है। आप कह सकते है ‘‘हे परमात्मा – कोटि-कोटि धन्यवाद क्योंकि आज मैं इस दिन का आनन्द ले सकता हूँ। मैं सम्पूर्ण जगत को देख सकता हूँ। आज मैं अपने भाग्य (destiny) को बदल सकता हूँ‘‘। आप ईश्वर को इसलिए भी धन्यवाद दे सकते है क्यों कि आपके प्रिय लोग आज आपके समक्ष जीवित हैं। ऐसा हो सकता है, एक दिन आपके परमप्रिय आपके साथ न रहे। उस दिन आपको समझौता करना होगा और उस हानि को स्वीकार करना होगा। अतः आज आपके पास ईश्वर के समक्ष कृतज्ञ होने का पर्याप्त कारण है क्योंकि आपके प्रिय लोग सुरक्षित हैं और स्वस्थ हैं।
आप कितनी बार सोचते हैं कि आपके समक्ष कुछ अच्छा होगा या आप कोई अच्छा समाचार या नई वस्तुएँ प्राप्त करेंगे तो आप प्रसन्न होंगे किन्तु यह पूर्णतः गलत है। आपकी प्रसन्नता किसी बाह्य परिस्थिति पर निर्भर नहीं करती। प्रसन्नता आपके भीतर निवास करती है। यह आपकी प्रवृत्ति पर निर्भर करती है कि आप जीवन को किस प्रकार स्वीकार करते हैं।
सही समय पर उचित कार्य कीजिए। ‘‘कार्य के समय कार्य कीजिए और खेल के समय खेलिए। सुनने के समय मात्र सुनिए। एक समय में एक ही कार्य कीजिए। वे लोग मूर्ख होते है जो सुनने के समय समय बोलते है जब कि उस समय उन्हें सुनना ही चाहिए। सुनने की क्रिया आपको तर्कशक्ति (reasoning) प्रदान करती है।
बुद्धिमान व्यक्ति ही दूसरों को सुनते हैं। जब कि मूर्ख व्यक्ति सोचते हंै कि उन्हे किसी परामर्श की आवश्यकता नहीं है। हम ध्यान क्रिया (meditation) द्वारा एक शांतिपूर्ण जीवन प्राप्त कर सकते है। चलिए आंखे बंद कर उचित लय में ‘‘ú‘‘ का उच्चारण (chant) करते हैं। आज यह महसूस करते हंै कि ऊर्जा हमारे पैर के अंगूठे से शीर्ष की ओर बह रही है, हमारे संपूर्ण शरीर को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण कर रही है।
इस प्रकार जीवन अद्भुत हो जाता है और आप प्रसन्नता का अनुभव करते है। आप अपने चारों ओर प्रसन्नता का संचार कर सकते है।
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megha says:
you are a good blogger
Preeti Sharma says:
Knowlegeful thought