मनुष्य में आत्मसम्मान का भाव कभी-कभी स्वयं को आदर देने की अपेक्षा अंहकार (ego) को उत्पन्न कर देता है। सबसे बड़ा रोग ‘अभिमान‘ ही है। इस रोग की न कोई चिकित्सकीय जांच (medical test) संभव है न ही चिकित्सा विज्ञान (medical science) के पास कोई उपचार। अन्य सभी रोगों जैसे -टाइफाइड, बुखार, मलेरिया आदि की चिकित्सकीय जांच एवं औषधीय उपचार संभव है परन्तु जो अहंकार नामक रोग से ग्रसित है उन्हें अपनी इस समस्या का आभास ही नहीं है। यही समस्या है जो आपको ज्ञान के समीप नहीं आने देती । वास्तव में यदि समस्या स्पष्ट होती है तो समाधान भी संभव है परन्तु इस अहंकार की समस्या का निवारण बहुत ही मुश्किल है। तो फिर समाधान कैसे प्राप्त हो ? इस समस्या के चलते आप कई बार क्रोध, अवसाद (depression) या चिड़चिड़ेपन (irritation) से ग्रसित हो जाते है।
यदि आप वास्तव में इस समस्या की पहचान करना चाहते है तो यह देखो कि आपके निकटतम संबंधी जो आपको सबसे प्रिय हो, वह आपमें कोई गलती या कमी इंगित करे तो क्या आप क्रोधित और चिड़चिड़े हो जाएंगे इससे आपको पता चल सकता है कि आप अहंकार की समस्या से ग्रसित है।
आपका अहंकार आपको किसी की नहीं सुनने देगा। यदि आपको यह आभास हो जाए कि कौन बोल रहा है ? किस उद्देश्य (intention) से बोल रहा है और वह क्यों आपकी कमी को इंगित कर रहा है तो आप इसे सहज एवं धैर्यवान होकर सुनेंगे और अहंकार से मुक्त हो सकेंगे।
यदि आप एक अच्छे श्रोता नहीं है तो आप ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते। यदि आप अपने नियोक्ता (employer) को ठीक से नहीं सुनते तो आप कोई अच्छी नौकरी नहीं कर पाएंगे। वास्तव में अपने स्वयं के विचारों को सम्मान देना ही अहंकार है और दूसरों के विचारों को भी सम्मान देना स्वाभिमान है।
अभिमान का तात्पर्य खुद को मान देना
स्वाभिमान का तात्पर्य दूसरों को मान देना।
जब आप दूसरों की सुनते हैं और दूसरों के विचारों को सम्मान देते हैं तो आपको सही मायने में ज्ञान की प्राप्ति होती है। दुर्भाग्यवश जो दूसरों की नहीं सुनते वे ट्रायल एंड एरर (trial & error) पद्धति से ही सीख पाते हैं।
उचित होगा कि हम अपने शिक्षकों से सीखेँ, शिक्षकों को धन्यवाद दे ताकि उनसे सदैव सीखा जा सके। अन्यथा शिक्षक आते रहेंगे और जाते रहेंगे परन्तु आप ज्ञान की प्राप्ति कभी नहीं कर पाएंगे। जब आप शिक्षकों के प्रति कृतज्ञ होते है तभी आप सुनने की योग्यता धारण करते हैं।
यदि आप सोचते हैं कि आप हमेशा सही हैं तो आप ‘अहम्‘ की समस्या से ग्रसित है और किसी से कुछ नहीं सीख सकते। उचित होगा कि आप अपनी अहंकार की प्रवृत्ति की समस्या को पहचाने तभी इस समस्या का समाधान प्राप्त होगा। अहंकार मुक्त जीवन जीने का प्रयास करें साथ ही अच्छे श्रोता बनने का प्रयास करें

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