प्र.1 Law of attraction की थ्योरी क्या है?
उत्तर : ये बहुत ही रूचिकर थ्योरी है और ये थ्योरी ग्रेविटी थ्योरी जैसी ही है और चाहे हम माने या ना माने, ये अपना काम करती है। मैं ऐसा महसूस करता हूँ कि हमारी ैवबपमजल में जो यह समस्याएँ आ रही हैं, जैसे – महिलाओं को लेकर जो समस्याएँ आज समाज में व्याप्त हैं, ये कहीं ना कहीं हमारी ही कमी है। क्योंकि हमारी सोच नकारात्मक होती जा रही है। तो हमारे साथ घटनाएँ भी नकारात्मक ही घटित हो रही हैं और परीक्षा के दौरान भी यह देखा जाता है कि कुछ लोग तो कम पढ़ कर भी अधिक अंक ले आते हैं। इसके विपरीत कुछ लोग दिन भर पढ़ने के बाद भी कम अंक प्राप्त कर पाते हैं। इसीलिये यह विषय है आपकी भावनाओं का आपके संवेग का और आपकी सोच का । तो जितनी आपकी सोच सकारात्मक होगी उतना ही परिणाम भी सकारात्मक होगा।
प्र.2 क्या Law of attraction की थ्योरी वैज्ञानिक है या सिर्फ मानसिकता बदलने अथवा सकारात्मकता लाने का एक जरिया मात्र है?
उत्तर : यह एक बहुत ही अच्छा प्रष्न है क्योंकि लोग इसे एक आदर्ष बात मानते हैं। लेकिन यहाँ मैं लोगों को बताना चाहूँगा कि यह कोर्इ आदर्ष नहीं बलिक इसके पीछे विज्ञान है। इस बात को सत्यापित करने के लिए मैनें शरीर की संरचना पर काफी अध्ययन किया तो मैंने पाया कि हमारे पूरे शरीर में से हमारा सिर्फ मसितष्क 2 से 3 सेमी. आकार का है और हमारे षरीर की ऊँचार्इ लगभग 5.5 से 6 फीट होती है तो समस्या ये उत्पन्न होती है कि हम जब भी कोर्इ चीज सोचते हैं तो इससे हमारी सोच का एक पैटर्न बनता है जिसे हम इलैक्ट्रो मैग्नेटिक वेव्स भी कहते हैं और देखा जाये तो भौतिक विभान में भी इस पर काफी काम हो रहा है। इसे क्वान्टा फिजिक्स भी कहा जाता है। क्वान्टा अर्थात बहुत छोटा नैनो पार्टिकल। हम जो भी सोच रहे हैं तो हमारी सोच की तरंगें नियमित रूप से घूमती है। कभी वो आपस में मिल जाती हैं तो कभी एक दूसरे से अलग हो जाती है। इसी तरह यह प्रक्रिया नियमित रूप से चलती रहती है। इसका मतलब हमारे शरीर की सबसे ताकतवर व मजबूत मषीन, हमारे मसितष्क से इलैक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगे निकलती हैं जो हमेषा घूमती हैं और हमारी ये सोच की तरंगेें जो इलैक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगों के रूप में घूम रही हैं। अपनी समकक्ष समान आवृत्ति वाली तरंगों को ढूंढती हैं इसीलिये मनुष्य आम जिन्दगी में अक्सर यह बोलते हैं अभी-अभी यह काम सोचा और वो हकीकत में पूरा हो गया। तो यह सिद्ध होता है कि यह कोर्इ आदर्ष नहीं बलिक पूरी तरह विज्ञान द्वारा सत्यापित है।
प्र.3 करियर में ये थ्योरी कैसे इम्पीलमेंट होती है ? और ये पूरी प्रक्रिया कैसे काम करती है?
उत्तर : करियर की बात करें तो आप देखेंगे कि बहुत से लोग प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में व्यस्त हैं उनमें कुछ CA बनना चाहते हैं तो कुछ CS, कोर्इ बैंक की तैयारी कर रहा है तो कोर्इ टीचर बनना चाहते हैं। इनमें से कोर्इ ना कोर्इ किसी परीक्षा की तैयारी में लगा है। इन सबमें सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है आपका किसी बात को सोचने का तरीका कैसा है? क्या आपको लगता है कि परीक्षा में पेपर सिलेबस से बाहर का आयेगा। या फिर आप अनुभव करते हैं कि आपका पेपर अच्छा नहीं होने वाला है। या फिर अपनी याददाष्त कमजोरी होती महसूस समझते हैं। चाहे आप कुछ भी नकारात्मक सोचें पर मानके चलिये इन सब बातों से आपका ऊर्जा स्तर कम ही होता है। अगर आप सकारात्मक सोचेंगे तो आप अधिक ऊर्जावान बनेंगे आपके विचारों में भी ऊर्जा ही रहेगी। इसीलिये व्यावहारिक जीवन में आपने बहुत से लोगों को कहते हुए सुना होगा कि हम जो सोचते हैं वही परीक्षा में आ जाता है। इसके विपरीत कुछ कहते हैं कि जो सोचा, कभी नहीं आया। इसलिये मुझे यकीन है कि यदि आप सकारात्मक सोच रखेंगे तो आपके विचार सही दिषा में कार्यानिवत होंगे और जीवन में आप अधिक अर्जित कर पायेंगे।
प्र.4 क्या इस थ्योरी का कोर्इ व्यकितगत अनुभव या कोर्इ उदाहरण है, जो आपके साथ हुआ हो या आपने होते देखा हो ?
उत्तर : जी हाँ, अगर किसी भी अनुभवी व्यकित का जिक्र करें तो वो आज जिस भी स्तर पर पहुंचे, उसे सोचने व उस पर अमल करन के बाद ही पहुंचे। हम जिनके बारे में सकारात्मक सोचते हैं वो चीजें हमार आसपास आने लग जाती हैं। यहाँ मैं आपको अपने जीवन का उदाहरण देना चाहूंगा। मैं बचपन से ही किताब लिखने में इच्छुक था। तो मैंने 15 से भी अधिक अलग-अलग विषयों पर किताबें लिख डाली क्योंकि मैं लिखना चाहता था और सोच का ये पेटर्न मैं अपने मसितष्क में विकसित कर रहा था। बावजूद इसके मैं मध्यम वर्ग परिवार से था, फिर भी मैं हमेषा सपने देखता था कि मैं समाज में एक उधमी के रूप में अपनी एक अलग पहचान कायम करूंगा और मैं भी समाज में व्याप्त बेरोजगारी को दूर करने के लिए अपने निर्देषन में दूसरे व्यकितयों का काम दूंगा। और आज आप देखेंगे कि मैं जो सोचता था वो मेरा सपना सच हो गया। अब एक अहम बात ये है कि इस स्ंूष्वषिजजतंबजपवद की थ्योरी में क्या सिर्फ आपके विचारों का ही महत्त्च है । तो मैं आपको बता दूं कि इसमें सिर्फ विचार ही नहीं बलिक विचारों के साथ भावनाएं भी अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं। और जब विचारों व भावनाओं का संयोजन होता है तो आपकी सोचने की आवृत्ति शकितवान हो जाती है। पर यदि आप बात तो अच्छी कर रहे हैं लेकिन आपको अनुभव अच्छा नहीं हो रहा है इसमें एक चीज सकारात्मक व दूसरी नकारात्मक है। और गणितीय नियम के अनुसार सकारात्मक और नकारात्मक को मिलाने पर परिणाम नकारात्मक ही आता है। तो जैसा आपका सोचने का तरीका होगा आपको अनुभव भी वैसा ही करना पड़ेगा।
प्र.5अगर यूथ इस ला को अपनाना चाहे तो इसे कैसे प्रयोग करना चाहिए कि उन्हें इसके जरिये कामयाबी मिले?
उत्तर : ये निषिचत रूप से यूथ के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है अगर वो इसे समझ जायेंगे तो मेरा मानना है कि उनके करियर की राह बहुत ही आसान हो जायेगी। व्यकितगत रूप से इस ला को उपयोग करने के कुछ स्टेप्स हैं जिनका अनुसरण करके हम कामयाबी की तरफ बढ़ सकते हैं और अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। इसे प्रयोग करने के चार स्टेप्स हैं जिन्हें यदि अपनाया जाये तो आप जो सपना देख रहे हैं, वो एक दिन जरूर साकार होगा। अगर इसे प्रमाणित करना हो तो आप किसी विशेषज्ञ व सफल व्यकित से पूछेंगे तो पायेंगे कि उन्होंने भी जीवन में कामयाब होने के लिये यही चार काम किये होंगे जिनकी वजह से उन्होंने अपने जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
सूत्र नं.1 : अपने उद्देश्य को निर्धारित व स्पष्ट करें –
सबसे पहले अपने सपने को, अपने उद्देश्य को निर्धारित करें। पूर्ण रूप से उसे स्पष्ट करें उसमें किसी भी प्रकार के संदेह की आषंका ना हो। उदाहरण के लिये यदि आप किसी कम्पनी के ब्थ्व्ष्बनना चाहते हैं तो पहले कम्पनी का ढांचा आपके मसितष्क में स्पष्ट होना चाहिए कि किस सेक्टर की कम्पनी में आप जाना चाहते हैं यह पूर्ण रूप से आपको पता होना चाहिए। इसी प्रकार यदि आप किसी भी क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो पहले उसे अपने मसितष्क में दृढ़ करिये फिर ही उस दिषा में आगे बढि़ये। क्योंकि ये ब्रह्रााण्ड आपकी भाषा व संस्कृति को नहीं समझता। आपकी अस्पष्ट सूचनाएँ वहां तक नहीं पहुंच पाती हैं। हाँ लेकिन ये ला आपके मसितष्क में जो उद्देश्य रूपी छवि जो उत्पन्न हुर्इ है और स्पष्ट भी है तो उसे जरूर समझता है।
सूत्र नं. 2 : उद्देश्य को लिखना –
जब आपके मसितष्क में आपके उद्देश्य स्पष्ट हो जाये तत्पश्चात उनको लिखा जाना अत्यन्त आवश्यक है। और अपने शरीर की सबसे शकितशाली उपकरण मसितष्क को इसे बार-बार दिखाइये कि यह मेरा उद्देश्य है, मैं इसे पाने के लिए उत्साहित हूँ और मैं इसे जीवन में हासिल करके ही रहूँगा। इसे अपने सामने उस हर जगह लगा डालिये जहाँ से यह आपको बार-बार दिखार्इ दे और आपके मसितष्क में उसे देखकर हलचल हो।
सूत्र नं. 3 : मानस दर्षन अर्थात विज्यूलाइजेषन –
आपके अपने उद्देश्य का मानस दर्षन करना है उसे लेकर कल्पना करनी है कि आपने उसे अपने जीवन में प्राप्त कर लिया है और अधिक से अधिक उसे महसूस करना है ताकि उससे संबंधित संवेग व भावनायें आपमें उत्पन्न हो और उसे पाने के लिए आपके अन्दर एक जाष बना रहे।
सूत्र नं. 4 : प्रयत्नपूर्वक रहिए –
आपके अपने उद्देश्य को पाने के लिए हमेषा प्रयत्नपूर्वक रहना चाहिए। आपके उद्देश्य के लिए किये गये प्रयत्न ही आपको सफलता दिलाने का जरिया बनते हैं। उदाहरणार्थ अगर आपको विदेष जाना है तो जब तक आपका पासपोर्ट नहीं बनेगा तब तक आप जा नहीं सकते। इसीलिये ये बहुत महत्वपूर्ण सूत्र है। आपके प्रयासों में सच्चार्इ व र्इमानदारी होनी चाहिए। आपको खुद पर एक अटूट विष्वास करना चाहिए कि हाँ ये काम आप कर सकते हैं। कभी-2 किन्हीं परिसिथतियों में आपको आत्म प्रेरित भी होना पड़ सकता है।
ये वो चार सूत्र हैं जिन्हें अपनाकर आप जीवन में कामयाबी हासिल कर सकते हैं व सफलता की ऊँचार्इयों को छू सकते हैं।
प्र.6 हम अपने जीवन में कर्इ कुछ चीजों को लेकर बहुत कल्पना करते हैं लेकिन उसे प्राप्त नहीं कर पाते। क्या कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो हमें नही करनी चाहिए?
उत्तर : इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आपको एक ही काम है जो नहीं करना है – नकारात्मक सोच! आप जितना हो सके अपने आपको नकारात्मकता से दूर रखें। आपको सिर्फ सकारात्मक ही बने रहना है और जीवन में सकारात्मकता बढ़ाने का एकमात्र उपाय कृतज्ञता है। और सिर्फ एक षब्द शुक्रिया आपके पूरे जीवन को सकारात्मक बना देता है। जैसा मैनें पहले भी जिक्र किया है कि हर समय ये अनुभव करिये कि आप बहुत ही आभारी हैं, सौभाग्यषाली हैं कि आप मनुष्य बने और आपमें अपने लक्ष्य को पाने की काबिलियत है।
इस प्रकार आप अगर इन चारों सूत्रों को अपनायेंगे तो अधिक सकारात्मक बन सकेंगे और मुझे लगता है कि आपको वो चीजें मिल ही जाती हैं जिनकी कभी आपने कल्पना की थी। आप अधिक ऊर्जावान बन जाते हैं। वाकर्इ ये प्रक्रिया यदि कोर्इ व्यकित अपने जीवन में अपनाता है तो उसका ना सिर्फ करियर बलिक जीवन भी सरल व उíेष्यपूर्ण बन जाता है।
मैनें जो सुझाव आपको दिये हैं उसे जीवन में र्इमानदारी से अपनायें, अच्छा सोचें व थोड़ी मेहनत करें। मैं यकीन के साथ कहता हूँ कि आपको जिन्दगी में वो मुकाम हासिल होगा जिसकी आपने ख्वाहिष की है।
धन्यवाद !!!
To know more about Prof. Sanjay Biyani visit www.sanjaybiyani.com
monika says:
excellent work . .!
monika says:
feeling satisfied with your words.
quest bars says:
What’s up, its pleasant article about media print, we all be aware
of media is a impressive source of facts.