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आज की भागती दौड़ती जिंदगी मे सभी लोग व्यस्त दिखाई देते है। पेरेन्टस् जहाँ अतिरिक्त कार्य कर अधिक कमा लेना चाहते हैंए वहीं स्टूडेन्ट पढ़ाई के साथ.साथ अतिरिक्त कोचिंग कर भविष्य को निश्चित करने में लगे हैं। इसी तरह से हम सभी ने अपनी.अपनी प्राथमिकता तय कर रखी है। पेरेन्टस् और बच्चों मे संवाद की कमी बढ़ती जा रही है इस कारण बच्चों में चिड़चिड़ापनए कुण्ठा व हीन भावना उनके व्यवहार में स्पष्ट देखी जा सकती है। क्या कभी हमने सोचा है कि क्यों बढ़ती उम्र के बच्चे सोशल साईटस् पर अधिक समय बिताने लगे है। क्या कभी हमने सोचा है कि बच्चे अपनी गलतियों को क्यों छुपाने लगे हऔर बात.बात पर क्यों झूठ बोलने लगे हैंघ् क्यों बच्चे घर से अधिक बाहर के वातावरण में अधिक खुश रहने लगे हैं। साइकोलॉजिकली ऐसा देखा जाए तो इसके पीछे यह कारण स्पष्ट रूप से दिखता है कि घर के वातावरण में प्रेम व भावनात्मक लगाव की कमी के कारण बढ़ती उम्र के बच्चे इस कमी को बाहर के वातावरण में ढूंढने लगे हैं और शायद इसी कमी के कारण पेरेन्टस् भी ऐसा ही कर रहे हैं। इसी कारण सोशल मीडिया साइटस् पर 10 से 16 साल तक के 85 फीसदी बच्चों की पसंद व्हाटसएपए फेसबुकए गूगल प्लस जैसी सोशल साइटस् बन गई हंै। यह बात भी सत्य है कि हर व्यक्ति हर समय सोशल साइटस् पर अपडेट रहना चाह रहा है। एक बडा सच यह भी है कि आज तक जितने भी उपकरण विज्ञान ने बनाये हंै उनका मुख्य कारण मनुष्य के समय की बचत करना ही रहा है पर गौर से देखें तो सोशल साइटस् पर बढ़ती व्यस्तता ने लगभग हर व्यक्ति के समय को कम कर दिया है। सर्वे से यह बात भी सामने आई है अगर एक व्यक्ति कई घंटे तक मोबाईल पर व्यस्त रहता है तो उसके ब्रेन हेमरेज की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही साथ मोबाईल के प्रयोग से रेडिएशन के कारण हमारे शरीर पर बहुत हानिकारक प्रभाव भी पड़ता है। इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि पुरानी पीढ़ी द्वारा नई पीढ़ी के साथ जितना सामाजिक . सांस्कृतिक संवाद किया जायेगाए बच्चों का जीवन उतना ही उन्नतए खुशहाल और सुरक्षित बन जाएगा। एक अध्ययन यह भी है कि सोशल मीडिया के कारण अधिकांश बच्चे साइबर क्राईम व लैगिंक शोषण के शिकार होते जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वयं अपने बच्चों को फेसबुकए ट्वीटर से दूर रखा और मोबाइल का उपयोग शनिवार और रविवार को ही करने की इजाजत दी है। आइये हम सब लोग देखा.देखी के आधार पर घर से बाहर अतिरिक्त व्यस्तता व सोशल मीडिया पर अत्याधिक व्यवस्था को कम कर अपने समय को अपने बच्चों व परिवार के साथ बितायें ताकि बढ़ती उम्र के बच्चो में प्रेम व भावनात्मक असंतुलन को कम किया जा सके। बच्चों को सफल बनाने से भी अधिक आवश्यक है कि उन्हें अच्छा इंसान बनायें। यह समय बच्चों के कैरियर विषय को चुनने का भी है इस चुनाव में बच्चे की रूचि व कैरियर काउंसलर की सलाह ली जानी चाहिये।
हमारे जीवन में पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। 21 जून को फादर्स डे पर हम सभी एक निश्चय करें कि इस दिन से हम सभी अपने पिता को सिर्फ पिता ही नहीं एक लाईफ कोच के रूप में मन से स्वीकार करें तथा इस अवसर पर उन्हें अपने हृदय से धन्यवाद देना ना भूलें। प्रेमए स्नेह व सम्मान के साथ।

Dr. Sanjay Biyani(Dir. Acad.)
May – Biyani Times Editorial

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