ईर्ष्या, यानि जलन हम सब को कभी ना कभी महसूस होती है, क्योंकि हमारे अन्दर अग्नि तत्व अशुद्ध हो गया है । हम अग्नि के प्रति अकृतज्ञ से हो गये है। मुझे लगता है अग्नि हमारे साथ ठीक वैसे ही पेश आती है जैसे हम अग्नि के साथ आते है। आप अग्नि (fire) यानि सूर्य के प्रति अपना (attitude) बदलिए और अपने अन्दर पवित्रता उत्पन्न करिए।
‘‘अग्नि के प्रति कृतज्ञता का भाव रखे‘‘।
Jealousy
Are we immune to jealousy? At some point in life, we feel the pangs of jealousy at other person’s achievement or well-being. It happens when the fire element in us turns impure due to our ingratitude towards it. This fire treats us the way we treat it. We must inculcate the attitude of gratitude towards fire, that is, Sun. We must purify our inner self.
‘Be grateful to fire.’
Prof. Sanjay Biyani